न्यूयार्क- अमेरिका में हुए एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि ज्यादातर युवाओं का सोचना है कि पर्यावरण की उपेक्षा करना पोर्न देखने से ज्यादा अनैतिक काम है। ! जीहां आजकल यूं तो ज्यादा से ज्यादा युवाओं की पोर्न देखने में दिलचस्पी होती है, खासकर 19 से 29 साल के बीच के युवाओं की। लेकिन उनमें से ज्यादातर का सोचना है कि पर्यावरण की उपेक्षा करना पोर्न देखने से ज्यादा अनैतिक काम है। एक दिलचस्प अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।
अमेरिकी गैरसरकारी संगठन बारना समूह की मानें तो अमेरिकी पोर्न के प्रति नैतिक रूप से उदासीन नजरिया रखते हैं। 13 से 24 साल के लड़के-लड़कियों में से एक तिहाई (32 फीसदी) ने माना कि पोर्न तस्वीरें गलत हैं जबकि बड़ी उम्र के युवाओं में 54 फीसदी इसे गलत मानते हैं। इस अध्ययन में एक तिहाई ने माना कि कामुक सामग्रियां (27 फीसदी) पढ़ना या सेक्स से जुड़े टीवी या फिल्मों के सीन (24 फीसदी) देखना अनैतिक है।
अध्ययनकर्ताओं के मुताबिक जिस काम से पर्यावरण को क्षति पहुंचती है उसे टीनेजर व युवा ज्यादा अनैतिक मानते हैं। इस अध्ययन से यह जानकारी भी मिली कि टीनेजर अपने साथी के साथ कितनी बार यौन विषयक बातें करते हैं। 18 से 24 साल की उम्र के 34 फीसदी और 16 साल से कम उम्र के 18 फीसदी ने स्वीकार किया कि वे अपने दोस्तों के साथ यौन विषयक बातें अक्सर करते रहते हैं।
जिन लोगों ने यह स्वीकार किया कि वे अपने दोस्तों के साथ यौन विषयक बातें करते हैं, उनमें से आधे ने माना कि वे उसमें रुचि लेते हैं और बढ़ावा देते हैं (36 फीसदी) या उन्हें हल्के तौर पर (16 फीसदी) लेते हैं।
बारना समूह के एडीटर इन चीफ रोक्साने स्टोन का कहना है कि यह हमें दिखाता है कि नैतिक रूप से हमारी संस्कृति के भीतर जो पोर्न साहित्य माना जाता है, उसमें एक महत्वपूर्ण पीढ़ीगत बदलाव चल रहा है। इस अध्ययन के लिए बारना समूह ने 3.771 प्रतिभागियों के साथ 5 ऑनलाइन सर्वेक्षण किया था।
शोधकर्ताओं के मुताबिक स्मार्टफोन, टैबलेट और लैपटॉप पर पोर्न तस्वीरें सर्वसुलभ है। इसने लोगों तक पोर्न सामग्रियों के पहुंच में क्रांति ला दी है। यहां तक कि मुख्यधारा की मीडिया में भी पोर्न सामग्रियां बहुतायत में उपलब्ध है खासतौर से विज्ञापन जगत में।
इसका मतलब यह है कि युवा पीढ़ी अत्यधिक पोर्न से जुड़े सांस्कृतिक पारिस्थितिकीय तंत्र के युग में जी रही है। इसका मतलब यह है कि वे यौन संबंधी प्रयोगों को लेकर ज्यादा खुले और आत्म-अभिव्यक्ति का रुख रखते हैं। इससे यौन विषयक सामग्रियों को सामाजिक मान्यता दिलाने में वे मदद कर रहे हैं।
अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि युवाओं में यह बदलाव तब और भी जाहिर होता है जब पोर्न सामग्रियों को लेकर निजी चयन का मामला सामने आता है। लेकिन पोर्न को लेकर उनके इस रवैये और चयन को व्यापक सामाजिक सांस्कृतिक संदर्भ में देखने की जरूरत है। [एजेंसी]