नई दिल्ली – साल 2015 की शुरुआत रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने अपने अंदाज में कर दी है। साल के पहले ही दिन रेल मंत्री ने रेलवे के लंबित पड़े कार्यों को तेजी से निपटाने के लिए टेंडर से लेकर अन्य आधिकारिक फैसले लेने के अधिकार क्षेत्रीय रेलवे के अधिकारियों को सौंप दिए हैं।
रेल मंत्री ने इस निर्णय से एक तीर से कई शिकार किए हैं। इस फैसले से जहां जोनल व डिवीजनल मैनेजरों को शक्तियां मिल जाएंगी, वहीं काम के प्रति उनकी जवाबदेही भी तय होने जा रही है।
रेल मंत्री ने ‘मेट्रो मैन’ ई श्रीधरन को इस काम का निर्धारण करने का जिम्मा सौंपा था। उन्होंने इस पर अपनी रिपोर्ट रेल मंत्री को सौंप दी है, जिसे उन्होंने हरी झंडी देते हुए बृहस्पतिवार को साल का पहला आदेश भी जारी कर दिया।
अभी तक रेलवे में कोई भी काम बिना रेलवे बोर्ड के अधिकारियों की मंजूरी के पूरा नहीं होता था। यहां तक टेंडर जैसी प्रक्रिया के लिए जोनल व डिवीजनल मैनेजरों को रेल बोर्ड के चक्कर लगाने पड़ते थे। इसके चलते बड़ी संख्या में रेलवे के कार्य लटके पड़े हैं।
रेल मंत्री ने जब कार्यभार संभाला तो उन्होंने इस बात को सबसे पहले पकड़ा। उन्होंने उसी वक्त फैसला ले लिया था कि वह कार्यों के निर्वहन की शक्तियां क्षेत्रीय रेलवे के अधिकारियों को सौंपेंगे। इसका खाका खींचने की जिम्मेदारी उन्होंने ‘मेट्रो मैन’ को दी थी।
रेल मंत्री का यह काफी बड़ा फैसला माना जा रहा है। हालांकि इसकी निगरानी का भी उन्होंने इंतजाम किया है। अधिकारियों को कार्यों के निपटारे को तय समय दिया जाएगा और उसके बाद उनसे इसकी रिपोर्ट मांगी जाएगी।
यही नहीं रेल मंत्री के कार्यभार संभालने के बाद यह पहली बार हुआ है जब रेल बोर्ड चेयरमैन व अन्य दो सदस्यों की नियुक्ति में मंत्रिमंडल की नियुक्ति संबंधी समिति (एसीसी) ने रेलवे से दोबारा जवाब तलब नहीं किया है।
:- एजेंसी