माउंट आबू [ TNN ] महिलायें अबला नहीं सबला है। परिवार से लेकर कार्यक्षेत्र में पुरूषों से कंधा से कंधा मिलाकर आज नारी ने सिद्ध कर दिया है कि वह हर मोर्चे पर सफल और शक्तिशाली है। समाज में कितनी भी बुराईयां क्यों ना हो जाये परन्तु महिलायें उस बुराईयों को समाप्त करने में सक्षम है। इसके लिए पहल करने की आवश्यकता है। उक्त उदगार इंडो यूरोपियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज की अध्यक्ष अनुराधा सिंघई ने व्यक्त किये। ब्रह्माकुमारीज संस्था के शांतिवन में महिलाओं केलिए आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में सम्बोधित कर रही थी।
उन्होंने कहा कि आज निर्भया जैसी घटनायें आये दिन सुनने को मिल रही है। हमें इस बुराई को, आसुरी प्रवृत्तियों को जड़ से उखाड़ फेंकने का शंखनाद करना चाहिए। हमें तो गर्व हो रहा है कि वर्तमान समय में हम ऐसी जगह सम्मेलन में आये हैं जिसका संचालन एवं आयोजक महिलाओं के द्वारा किया जा रहा है। ये महिलाये बुराईयों को समाप्त करने और अच्छाईयों को जीवन में उतारने की शिक्षा दे रही है। पिछले 78 वर्षों में लाखों लोगों की जिन्दगी बदली है।
उन्होंने पाश्चात्य संस्कृति से दूर रहने तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को भी महिलाओं के प्रतिबंधित तस्वीर और विज्ञापन से बचने की सलाह दी। नारी की दुर्दशा के जिम्मेवार हैं आज का बाजारवाद है। यदि हम अपने परिवार में बच्चों को जन्म से ही नारी का सम्मान करने की शिक्षा और संस्कार देंगे तो उससे एक संस्कारवान समाज का निर्माण होगा।
संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी ने कहा कि भारत देश में नारियों को जो सम्मान दिया जाता है वह किसी अन्य देश में नहीं दिया जाता है। भारत में नारी की भूमिका को देवी के समतुल्य माना गया है। लेकिन कलियुग का युग होने के कारण नारी की पहचान धूमिल होती जा रही है। अब पुन: परमात्मा इस धरा पर आकर नारी के द्वारा सृष्टि के परिवर्तन का कार्य कर हैं।
राष्ट्रीय महिला आयोग, नेपाल की सदस्या मोनू हूमागेन ने कहा कि आज नारी को जितने अधिकार दिए गए हैं उसका अगर सही उपयोग किया जाए तो नारी को पुन: पुज्यनीय स्वरूप प्राप्त हो जाएगा। हमें अधिकारों और कत्र्तव्यों का उपयोग संस्कृति के दायरे में रहकर ही करना चाहिए।
दिल्ली सरकार की शिक्षा अधिकारी सुनीता बत्रा ने कहा कि यह युग ही परिवर्तन का युग चल रहा है। एक नारी होने के कारण हमारा यह कत्र्तव्य बनता है कि हम जो व्यवहार अपने परिवार में करते हैं वहीं व्यवहार हमें समाज के हर व्यक्ति के साथ करना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय की वकील मीना सक्सेना ने कहा कि शांति, प्यार और सरलता से जो कार्य किया जा सकता है वह कानून बनाकर नहीं किया जा सकता है।
इस कार्यक्रम का रशिया में सेवाकेंद्रों की संचालिका एवं महिला प्रभाग की अध्यक्षा बीके चक्रधारी, अहमदाबाद की राजयोग शिक्षिका बीके शारदा, दिल्ली की राजयोग की शिक्षिका बीके रानी सहित अनेक विशिष्ट अतिथियों ने संबोधित किया और नारी के प्रति हो रहे हिंसा के प्रति चिंता प्रकट की। कार्यक्रम का उद्घाटन अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर मुम्बई की कलाकारों के द्वारा स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया गया।