शिमला [ TNN ] आम आदमी पार्टी नेता और सुप्रीम कोर्ट के चर्चित वकील प्रशांत भूषण से बुधवार को हिमाचल प्रदेश सरकार ने पालमपुर में 4.66 हेक्टेयर जमीन पर से उनका मालिकाना हक वापस ले लिया है। यह जमीन भूषण फैमिली से जुड़ी कुमुद भूषण एजुकेशन सोसायटी(केबीइएस) की थी।
इस मामले में आदेश जारी करने वाले कांगड़ा के डेप्युटी कमिशनर सी. पॉलरसु ने कहा, ‘इस सोसायटी के खिलाफ 2012 में ही कार्यवाही शुरू की गई थी। मैंने सोसायटी को इस मामले में अपना पक्ष रखने का पर्याप्त मौका दिया था लेकिन वे नाकाम रहे। ऐसी स्थिति में मैंने उनके कब्जे वाली जमीन और इमारत के खिलाफ आदेश जारी किया। अब सोसायटी इस जमीन पर कोई गतिविधि नहीं कर सकेगी। इस मामले में जब भूषण फैमिली से संपर्क साधा गया तो कुमुद भूषण एजुकेशन सोसायटी के सेक्रेटरी ने कहा, ‘यह साफ है कि डेप्युटी कमिश्नर ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के इशारे पर यह आदेश जारी किया है जो कि खुद ही भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे हुए हैं।
केबीइएस ने कहा कि हिमाचल सरकार का आदेश पक्षपातपूर्ण और अवैध है। केबीइएस के प्रवक्ता हिमांशु कुमार ने बताया, ‘यह फैसला चौंकाने वाला है। जब राज्य सरकार ने इस मामले में हमारे खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई तब डेप्युटी कमिश्नर ने मौखिक आदेश जारी कर दिया। बिना कोई लिखित आदेश के यूं ही मौखिक फैसला सुनाना हास्यास्पद है। इस मामले में पूरी कार्यवाही हास्यास्पद तरीके से हुई है। डेप्युटी कमिश्नर ने सीएम के इशारे पर यह आदेश जारी किया है। हमलोग इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में जाएंगे।’
प्रशांत भूषण ने दिल्ली हाई कोर्ट में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ हवाला और इनकम टैक्स रिटर्न में अनियमितता को लेकर पीआईएल दाखिल की है। इस मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट में 24 सितंबर को सुनवाई होने वाली है। इस मामले में वीरभद्र सिंह ने हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि उन्हें प्रशांत भूषण इसलिए टारगेट कर रहे हैं क्योंकि हिमाचल में उनके स्वामित्व वाली जमीन में हुई अनियमितता की जांच के आदेश दिए गए हैं। प्रशांत भूषण ने यह जमीन हिमाचल में बीजेपी के शासनकाल में ली थी।
सूत्रों का कहना है कि पालमपुर में अपनी मां के नाम पर स्कूल चलाने के लिए प्रशांत भूषण ने 2006 में कांग्रेस सरकार से जमीन के लिए संपर्क साधा था। भूषण को जमीन 2010 में प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार से मिली। दो साल के अंदर इस जमीन का उपयोग भूषण ने एजुकेशनल इंस्टिट्यूट के रूप में करवा लिया था।
प्रशांत भूषण की जमीन हिमाचल प्रदेश टेन्नेंसी ऐंड लैंड रिफॉर्म ऐक्ट 1972 के अंतर्गत जांच के दायरे में थी। इसमें उपयोग का पैटन बदलने का आरोप था। कांगड़ा जिला प्रशासन ने भूषण को इस मामले में 2012 में नोटिस जारी किया था। हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा ने बताया कि यह आदेश बीजेपी शासनकाल में हुई अनियमितता को दर्शाता है।