22 जून को वरिष्ठ वकील ने अदालत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे और चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को लेकर टिप्पणी की थी। इसके बाद 27 जून के ट्वीट में प्रशांत भूषण ने सर्वोच्च न्यायालय के छह साल के कामकाज को लेकर टिप्पणी की थी।
वरिष्ठ अधिवक्ता और कार्यकर्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ चल रहे अदालत की अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उन पर सजा के तौर पर एक रुपये का जुर्माना लगाया। इस फैसले को लेकर प्रशांत भूषण प्रेस वार्ता कर रहे हैं।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में हो रही इस प्रेस वार्ता में भूषण ने कहा कि उनके ट्वीट्स का उद्देश्य अदालत या मुख्य न्यायाधीश का अपमान करना नहीं था। उन्होंने कहा कि वह इस मामले में पुनर्विचार याचिका भी दायर करेंगे।
भूषण ने कहा कि वह एक रुपये का जुर्माना भी भरेंगे और फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका भी दायर करेंगे। उन्होंने कहा कि वह पहले ही कह चुके हैं कि अदालत उन्हें जो सजा देगी, वो उसे स्वीकार करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘मैंने जो ट्वीट किए वो मेरी खुद की पीड़ा व्यक्त करने के लिए थे। यह अभिव्यक्ति की आजादी के संबंध में शानदार पल है और लगता है कि इसने कई लोगों को अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया है।’
इससे पहले अदालत ने कहा था कि अगर भूषण 15 सितंबर तक एक रुपया जमा नहीं कराते हैं तो उन्हें तीन महीने की जेल और प्रैक्टिस पर तीन साल के प्रतिबंध की सजा सुनाई जाएगी। यह फैसला न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनाया।
न्यायालय ने कहा, ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता, लेकिन दूसरों के अधिकारों का भी सम्मान किए जाने की आवश्यकता है।’
प्रशांत भूषण को सजा सुनाने के मुद्दे पर शीर्ष अदालत ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से राय मांगी थी। जिस पर वेणुगोपाल ने कहा था कि प्रशांत भूषण को चेतावनी देकर छोड़ देना चाहिए।
बता दें कि वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक दो ट्वीट के लिए सर्वोच्च न्यायालय से माफी मांगने से इनकार कर दिया था।
22 जून को वरिष्ठ वकील ने अदालत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे और चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को लेकर टिप्पणी की थी। इसके बाद 27 जून के ट्वीट में प्रशांत भूषण ने सर्वोच्च न्यायालय के छह साल के कामकाज को लेकर टिप्पणी की थी।
इन ट्वीट्स पर स्वत: संज्ञान लेते हुए अदालत ने उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी।
अदालत ने इस संबंध में उन्हें नोटिस भी भेजा था। इसके जवाब में प्रशांत भूषण ने कहा था कि भारत के मुख्य न्यायाधीश की आलोचना करना उच्चतम न्यायालय की गरिमा को कम नहीं करता है।
उन्होंने कहा था कि पूर्व सीजेआई को लेकर किए गए ट्वीट के पीछे उनकी एक सोच है, जो बेशक अप्रिय लग सकती है लेकिन अवमानना नहीं है।