लखनऊ : यूपी में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार आने के बाद एक बार फिर से विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर के निर्माण का मुद्दा आगे बढ़ाना शुरु कर दिया है। विहिप ने नए कानून के जरिए राम मंदिर निर्माण की मांग की है, ऐसे में विहिप की इस मांग के बाद केंद्र की मोदी सरकार और यूपी में भाजपा व योगी सरकार पर अब इस बात की जिम्मेदारी है कि वह अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के वायदे को कैसे आगे बढ़ाती है।
तोगड़िया आंसू संभालें, उन्हें अभी बहुत रोना पड़ेगा
राम मंदिर के लिए विहिप 31 मई से 2 जून के बीच हरिद्वार में एक बैठक का आयोजन करने जा रही है जिसका मुख्य मुद्दा राम मंदिर है। विहिप अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि जून में हम तमाम संतो की एक बैठक बुला रहे हैं, लेकिन यह धर्म संसद नहीं है, इस बैठक में तब तक राम मंदिर के मुद्दे पर बहस शुरु करेंगे जब तक राम मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया शुरु नहीं हो जाती है।
भारतीय मुसलमान, ईसाई के वंशज हिंदू थे ; तोगड़िया
तोगड़िया ने कहा कि विहिप के जो कार्यकर्ता राम मंदिर के निर्माण की मांग कर रहे हैं वह देशभर में 5000 जगहों पर हैं और वह सभी 1 अप्रैल से 16 अप्रैल तक राम महोत्सव मनाएंगे।
IS को रोकने के लिए जरूरी है राम मंदिर
राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर तोगड़िया ने कहा कि हम चाहते हैं कि राम मंदिर के निर्माण के लिए संवैधानिक रास्ता निकाला जाए, जोकि सिर्फ तीन पी के जरिए संभव है, जिसमें प्रधानमंत्री, पार्लियामेंट और पीपुल यानि लोग हैं। तोगड़िया ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर होगा। आजादी के बाद सोमनाथ मंदिर का निर्माण सरदार पटेल, राजेंद्र प्रसाद, केएम मुंशी के बीच बातचीत के बाद शुरु हुआ था।
“सुधर जाओ नहीं तो मुश्किल होगी”
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया था कि दोनों समुदायों को इस मुद्दे पर कोर्ट के बाहर समझौता करना चाहिए और बीच का रास्ता निकालना चाहिए। एक तरफ जहां सुप्रीम कोर्ट के इस सुझाव का भाजपा ने स्वागत किया था तो दूसरी तरफ विहिप ने एक बयान जारी करके कहा था कि इस मुद्दे पर कानून के द्वारा ही रास्ता निकलना चाहिए औ अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरु होना चाहिए।
प्रवीण तोगड़िया ने प्रधानमंत्री मोदी और योगी आदित्यनाथ पर किसी भी तरह का बयान देने से इनकार कर दिया, लेकिन उन्होंने कई बार भाजपा की 1986 में पालमपुर के प्रस्तान का जिक्र किया, जिसमें इस बात का फैसला लिया गया था कि पार्टी राम जन्मभूमिक आंदोलन का समर्थन करेगी, यह एक ऐसा मुद्दा है जोकि भाजपा के हर चुनावी घोषणा पत्र में होता है, लेकिन केंद्र और राज्य में भाजपा सरकार आने के बाद इस मुद्दे पर एक बार फिर से बहस शुरु हो गई है।
तोगड़िया ने कहा कि भाजपा ने धर्म संसद के दो वर्ष बाद इस प्रस्ताव को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में पास किया था। हम उम्मीद करते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा इस प्रस्ताव को याद रखे। उन्होंने कहा कि महंत आदित्यनाथ, रामकृष्ण परमहंस और अशोक सिंघल बिना मंदिर देखे इस दुनिया से जा चुके हैं, ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि पीएम मोदी औऱ योगी आदित्यनाथ मंदिर निर्माण को संभव बना सके।