नई दिल्ली- राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आज देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने का आह्वान करते हुए चुनाव सुधारों पर बल दिया और कहा कि भारतीय लोकतंत्र की परिपक्वता के लिए संसद में विचार विमर्श किया जाना चाहिए।
मुखर्जी ने 68 वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि हालांकि भारतीय लोकतंत्र कोलाहलपूर्ण है लेकिन हमारे लोकतंत्र की मजबूती इस सच्चाई से देखी जा सकती है कि वर्ष 2014 के आम चुनाव में कुल 83 करोड़ 40 लाख मतदाताओं में से 66 प्रतिशत से अधिक ने मतदान किया। हमारे लोकतंत्र का विशाल आकार हमारे पंचायती राज संस्थाओं में आयोजित किए जा रहे नियमित चुनावों से झलकता है।
पिछले कुछ सत्रों संसद में गतिरोध पर राष्ट्रपति ने कहा कि कानून निर्माताओं को व्यवधानों के कारण सत्र का नुकसान होता है जबकि उन्हें महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस करनी चाहिए और विधान बनाने चाहिए। बहस, परिचर्चा और निर्णय पर ध्यान देने के सामूहिक प्रयास किए जाने चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि हमारी प्रणालियां श्रेष्ठ नहीं हैं। त्रुटियों की पहचान की जानी चाहिए और उनमें सुधार लाना चाहिए। यथास्थिति पर सवाल उठाने होंगे और आपसी विश्वास मजबूत करना होगा। चुनावी सुधारों पर रचनात्मक परिचर्चा करने और शुरुआती दशकों की परंपरा की ओर लौटने का समय आ गया है जब लोकसभा और राज्य विधान सभाओं के चुनाव एक साथ आयोजित किए जाते थे। राजनीतिक दलों के विचार-विमर्श से इस कार्य को आगे बढ़ाना चुनाव आयोग का दायित्व है।’’