नई दिल्ली- तमिलनाडु में जलीकट्टू से प्रतिबंध हटाने को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन और तमाम जानी-मानी हस्तियों के इसके समर्थन में आने के बाद अब केंद्र सरकार भी इसके रास्ते के अवरोध हटाने में लग गई है। केंद्र सरकार ने इस बारे में तमिलनाडु सरकार के अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। पीएम मोदी ने कहा कि हमें तमिलनाडु की समृद्ध संस्कृति पर बहुत गर्व है। तमिल लोगों की सांस्कृतिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि केंद्र सरकार पूरी तरह से तमिलनाडु की प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है और नई उंचाइयों तक पहुंचाने के लिए काम करती रहेगी।
जल्लीकट्टू बैन: एक हफ्ते तक कोई भी फैसला नहीं- SC
राष्ट्रपति को भेजा जाएगा मसौदा
तमिलनाडु सरकार ने पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम के कुछ प्रावधानों में संशोधन कर इसका मसौदा सुबह केंद्र सरकार के पास भेजा था। गृह मंत्रालय ने इस पर पर्यावरण मंत्रालय और कानून मंत्रालय की राय मांगी। दोनों मंत्रालयों ने इस पर अपनी सहमति दी. इसके बाद सरकार ने अंतिम मुहर के लिए इसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया है। राष्ट्रपति इस समय बंगाल में हैं और वे रात में दिल्ली लौटेंगे और इस पर फैसला लेंगे।
जल्लीकट्टू: मद्रास हाई कोर्ट का दखल से इंकार
बीजेपी के महासचिव मुरलीधर राव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जलीकट्टू को प्रतिबंधित करने का आदेश देते समय इस खेल से लोगों के भावनात्मक लगाव और साथ ही इसके पीछे के वैज्ञानिक तर्क की अनदेखी की गई। उन्होंने कहा कि हिंसा कभी भी जलीकट्टू का मूल नहीं रही और वास्तविक खेल में केवल सांड़ के कूबड़ को 60 सेकेंड के लिए थामना ही शामिल है तथा प्रतिभागी यह सुनिश्चित करते हैं कि जानवरों को किसी भी तरह से नुकसान ना पहुंचे।
बैन के खिलाफ समूचे राज्य में प्रदर्शन
राज्य में जलीकट्टू के समर्थन में प्रदर्शन की शुरुआत सोमवार को हुई थी, जिसके बाद कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया था। इसके बाद विरोध-प्रदर्शन और भड़क गया। मरीना बीच पर हजारों की तादाद में युवक-युवतियां शुक्रवार को भी प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। पूरे राज्य में कामकाज लगभग ठप हो गया है। लोग जलीकट्टू पर प्रतिबंध को तमिलनाडु की संस्कृति का अपमान बता रहे हैं। इसके लिए पशु अधिकार संगठन पीपुल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) भी उनके निशाने पर है। [एजेंसी]