देहरादून: केन्द्र ने रविवार को उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस में दरार के बीच राजनीतिक संकट पैदा होने के बाद यह विवादित फैसला किया गया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने केन्द्रीय कैबिनेट की सिफारिश पर संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत उद्घोषणा पर हस्ताक्षर करते हुए हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को बख्रास्त किया और विधानसभा को निलंबित कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार रात यहां कैबिनेट की आपातकालीन बैठक हुई। मोदी बैठक में शामिल होने के लिए असम की यात्रा में बीच में छोड़कर राष्ट्रीय राजधानी आए थे।
ग़ौरतलब है कि शनिवार रात को उत्तराखंड के राजनीतिक संकट पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की आपात बैठक हुई थी जिसमें राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफ़ारिश की गई थी ! मंत्रिमंडल की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देर रात राष्ट्रपति को यथास्थिति से अवगत कराया था ! राज्य में कांग्रेस के नौ विधायकों की बग़ावत के बाद मुश्किलों में घिरी हरीश रावत सरकार को 28 मार्च को बहुमत साबित करना था !
उत्तराखंड विधानसभा के कुल 70 विधायकों में कांग्रेस के 36 विधायक थे जिनमें से 9 बाग़ी हो चुके हैं ! भाजपा के 28 विधायक हैं जिनमें से एक निलंबित है. बसपा के दो, निर्दलीय तीन और एक विधायक उत्तराखंड क्रांति दल का है ! इससे पहले रविवार को ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आरोप लगाया था कि भाजपा लगातार राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी दे रही है ! उन्होंने कहा था, “अहंकार में चूर केंद्र का शासक दल एक छोटे से सीमांत राज्य को राष्ट्रपति शासन लागू करने की धमकी दे रहा है !”