अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तान में कैद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को दी गई फांसी की सजा पर रोक लगा दी है। अदालत ने भारत की याचिका पर मंगलवार रात यह फैसला दिया। इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को एक पत्र भी भेजा है।
नीदरलैंड स्थित अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का यह फैसला भारत और पूर्व नौसेना अफसर जाधव दोनों के लिए राहत की खबर है। कोर्ट ने कहा है कि पाकिस्तान इस मामले में उसका अंतिम फैसला आने तक कोई कदम न उठाए। उसने पाक सरकार से जाधव के मानवाधिकारों का सम्मान करने को कहा है।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान सेना की अदालत ने गत 10 अप्रैल को जासूसी और आतंकवाद का आरोप लगाते हुए जाधव को फांसी की सजा सुनाई थी। इस पर भारत ने उसे आगाह किया था कि बिना किसी सुनवाई या बचाव का मौका दिए जाधव को फांसी की सजा देना सोची समझी हत्या जैसा होगा। सैन्य अदालत ने जाधव को सजा के खिलाफ अपील के लिए 60 दिन का मौका दिया था। भारत ने जाधव की ओर से अपील दायर करने और उससे संपर्क की मांग पाकिस्तान के समक्ष रखी, लेकिन पाकिस्तान ने इसे ठुकरा दिया था। उसका कहना है कि किसी जासूस को राजनियक संपर्क की इजाजत नहीं दी जा सकती।
जाधव की मां को फैसले के बारे में बताया: सुषमा
वहीं, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर कहा, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारत की ओर से इस केस का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे कर रहे हैं। सुषमा ने एक अन्य ट्वीट में कहा, मैंने कुलभूषण जांधव की मां से बात की है और उन्हें अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले के बारे में बताया है।
बता दें कि जाधव की मां अवंती जाधव ने पिछले महीने पाकिस्तान में एक उच्च न्यायालय में मौत की सजा के खिलाफ अपील दायर की थी।
पाक सेना और शरीफ सरकार को झटका
अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का यह फैसला शरीफ सरकार और पाकिस्तान सेना के लिए झटका है, जो भारतीय अधिकारियों या जाधव के परिवार को उससे मिलने की इजाजत नहीं दे रहा है। पाक की सैन्य अदालत ने भारत को सूचना दिए बिना गोपनीय तरीके से जाधव के खिलाफ केस चलाया और सजा सुना दी। भारत शुरुआत से ही कहता रहा है कि पाक ने अंतराष्ट्रीय कानूनों को परे रखकर जाधव को सजा सुनाई है, उसे बचाव का कोई मौका नहीं दिया गया। भारत ने 15 बार जाधव से मिलने की इजाजत पाक से मांगी, लेकिन हर बार इसे खारिज कर दिया गया।