जबलपुर – स्कूलों में भगवत गीता पढ़ाए जाने को लेकर मचे बवाल के बाद सरकार गीता के साथ ही अब कुरान, बाइबिल और गुरुग्रंथ जैसे धर्मों का सार स्कूलों में पढ़ाने की तैयारी में है। प्रायमरी और अपर प्रायमरी कोर्स में गीता, कुरान, बाइबिल और गुरुग्रंथ साहिब जैसे धर्मों का सार शामिल करने का एक प्रस्ताव भी पाठ्यक्रम स्थायी समिति को भेज दिया गया है। यदि समिति की मुहर लग गई तो नए सत्र (2016-17) में बच्चे गीता के श्लोक, कुरान, बाइबिल की आयतें और गुरुग्रंथ साहिब की वाणी पढ़ते नजर आएंगे।
कोर्स में प्रमुख धार्मिक ग्रंथों का सार शामिल करने के पीछे जो मंशा बताई गई है वे ये कि बच्चे कम उम्र में नैतिक शिक्षा के अलावा अपने धर्म के साथ अन्य सभी धर्मों की जानकारी उनके महत्व को समझ सकेंगे। अपने धर्म के साथ ही दूसरे के धर्म के प्रति सम्मान,आदर की भावना पैदा होगी। बच्चे सुयोग्य नागरिक बनेंगे और उनके भीतर सर्वधर्म समभाव का महौल पैदा होगा।
प्रारंभिक शिक्षा को बेहतर बनाने कोर्स में अमूल-चूल बदलाव भी किए जाने की तैयारी है। बच्चों को नैतिक शिक्षा का ज्ञान देने कोर्स में नई कविताएं व खेती-किसानी,बागवानी भी शामिल की जाएगी।
30 की बैठक में हो सकती है चर्चा
स्कूलों में धर्मों की शिक्षा दी जाए या नहीं फिलहाल इस पर निर्णय 16 सदस्यीय पाठ्क्रम समिति लेगी। कहा जा रहा है कि 30 नवम्बर को समिति की बैठक होने वाली हैं। जिसमें कोर्स में धर्मों का सार श्लोक,आयातों के रूप में शामिल किया जाए या नहीं इस पर चर्चा हो सकती है।
[box type=”info” ]शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव बनाकर भेज दिया है। प्रारंभिक शिक्षा के कोर्स में प्रमुख धार्मिक ग्रंथों का सार शामिल किया जाए या नहीं ये निर्णय पाठ्यक्रम समिति करेगी। – दीपक जोशी,स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री
मैं दिल्ली में हूं। इस संबंध में कुछ नहीं कह सकती, हां इतना जरूर है 30 नवम्बर को पाठ्यक्रम समिति की बैठक होने वाली है। -दीप्ति गौर मुकर्जी, सदस्य सचिव,पाठ्यक्रम समिति व आयुक्त राज्य शिक्षा केन्द्र [/box]