नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश के सभी राज्यों से आए मुख्यमंत्रियों से मुलाकात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराज्यीय परिषद बैठक में कहा कि राज्यों एवं केंद्र के निकट समन्वय के साथ काम करने से ही विकास हो सकता है। आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री ने राज्यों से खुफिया सूचनाएं साझा करने और सहयोग करने की अपील की।
सरकार कंधे से कंधे मिलाकर काम करें। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के हवाले से कहा कि भारत जैसे देश में बहस, विवेचना और चर्चा नीतियों को प्रभावित करती हैं।
पीएम मोदी ने सब्सिडी, कैरोसिन के बंटवारे और आधारकार्ड की अहमियत का जिक्र किया, साथ ही बच्चो की शिक्षा पर जोर दिया।
पीएम ने कहा कि कैंपा कानून में बदलाव के जरिए बैंक में रखे हुए करीब 40 हजार करोड़ रुपए को भी राज्यों को देने का प्रयास किया जा रहा है। पंचायतों और स्थानीय निकायों को 14वें वित्त आयोग की अवधि में 2 लाख 87 हजार करोड़ रुपए की रकम मिलेगी जो पिछली बार से काफी अधिक है। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि पिछले वर्ष 2015-16 में राज्यों को केंद्र से जो रकम मिली है, वो वर्ष 2014-15 की तुलना में 21 प्रतिशत अधिक है।
मोदी ने कहा कि 2006 के बाद ये बैठक नहीं हो पाई, लेकिन मुझे खुशी है कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह जी ने इस प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का प्रयास किया।उन्होंने कहा कि इंटर स्टेट काउंसिल एक ऐसा मंच है जिसका इस्तेमाल नीतियों को बनाने और उन्हें लागू करने में किया जा सकता है।
[box type=”shadow” ]मुख्यमंत्रियों में कई लगातार केंद्र सरकार पर राज्य सरकार के काम में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाते रहे हैं। ऐसे ही मुख्यमंत्रियों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी थे, जो लगातार केंद्र से अपने अधिकारों के लेकर लड़ाई करते आ रहे हैं। इतना ही नहीं दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार अधिकारों की इस जंग को लेकर खुद ही दिल्ली हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। उधर, इस बैठक में शामिल होने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत भी आए। रावत को भी हाल ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि इस राज्य में केंद्र ने अनधिकृत तौर पर राष्ट्रपति शासन लगाया था।[/box]
पीएम मोदी ने कहा कि वाजपेयी जी ने कहा था “भारत जैसे लोकतंत्र में बहस, विवेचना, चर्चा से ही नीतियां बन सकती हैं जो जमीनी सच्चाई का ध्यान रखती हों”
सामाजिक सुधारों की बात करते हुए पीएम मोदी ने अबेडकर को याद किया। मोदी ने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर ने एक बार कहा था कि भारत जैसे देश में सामाजिक सुधारों का मार्ग उतना ही कठिन है जितना कि स्वर्ग जाने का मार्ग। पीएम ने कहा कि सामाजिक सुधारों की राह में दोस्त कम आलोचक ज्यादा मिलते हैं। सामाजिक सुधारों की योजनाओं को लागू करना होगा।
देश में शिक्षा के स्तर और मौजूदा शिक्षा व्यवस्था का जिक्र करते हुए मोदी ने दीन दयाल उपाध्याय की बात दोहराई। पीएम ने कहा कि भारत की ताकत हमारे नौजवान हैं। 30 करोड़ से अधिक बच्चे स्कूल जाने की उम्र में हैं। हमारे पास दुनिया को स्किल्ड मैन पावर देने की क्षमता है। पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने कहा था कि शिक्षा एक निवेश है। जैसे हम पेड़-पौधे लगाते हैं वैसे ही शिक्षा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा ऐसी हो जिससे बच्चों में जिज्ञासा पैदा हो।
उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद कहते थे कि शिक्षा का मकसद है चरित्र का निर्माण, अपनी बौद्धिक शक्ति को बढ़ाना, ताकि खुद के पैरों पर खड़ा हुआ जा सके।वहीं, आंतरिक सुरक्षा पर बोलते हुए पीएम ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा तब तक मजबूत नहीं होगी, जब तक इंटेलीजेंस शेयरिंग पर फोकस न हो।