नई दिल्ली – भारतीय रेलवे में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। रेलवे की कायाकल्प करने के लिए सलाह देने के लिए गठित एक सरकारी पैनल ने पैसेंजर ट्रेनों को चलाने के लिए प्राइवेट कंपनियों के प्रवेश की सिफारिश की है।
नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय की अध्यक्षता वाले पैनल ने यह सुझाव पेश किया है। इसके अलावा रेलवे के ऑपरेशन और मेंटीनेंस के लिए निजी कंपनियों को लाए जाने की सिफारिश भी की है। समिति ने रेलवे के जीर्णोद्धार के लिए बाहर से कुशल लोगों को लाने की भी सिफारिश की है।
बता दें कि इससे पहले मालगाड़ियों के लिए प्राइवेट सेक्टर की भूमिका पर बात होती रही है। मगर, पहली बार उन्हें पैसेंजर ट्रेनों को चलाने की अनुमति देने पर चर्चा की जा रही है। पैनल ने इसके साथ ही अलग से रेल बजट पेश किए जाने की परंपरा को भी खत्म करने की सिफारिश भी की है। इससे पहले कई अर्थशास्त्री भी इसे खत्म करने का मुद्दा उठाते रहे हैं। रेलवे बजट को ब्रिटिश औपनिवेशिक विरासत के तौर पर देखा जाता है।
नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा गठित किया गया देबरॉय पैनल ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर ली है और शुक्रवार को इसे सरकार के सामने पेश किया जाएगा। रेलवे के मोदी सरकार के प्राथमिकताओं वाले सेक्टरों में शामिल होने से उम्मीद है कि सरकार आने वाले महीनों में इन सिफारिशों पर अमल करेगी।
कमेटी ने जोर देकर कहा कि वह रेलवे की हिस्सेदारी बेचने के संदर्भ में निजीकरण की बात नहीं कर रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कमेटी ने रेलवे के निजीकरण की सिफारिश नहीं की। हालांकि, वह प्राइवेट सेक्टर के प्रवेश की सिफारिश करती है क्योंकि इसे भारतीय रेलवे की नीति के तहत स्वीकार किया गया है।
कमेटी ने कहा कि पोर्ट्स, टेलिकॉम, एयरपोर्ट्स और सड़कों जैसे सेक्टरों से तुलना करने पर पता चलता है कि रेलवे में प्राइवेट सेक्टर का प्रवेश नहीं हुआ है। कमेटी ने इसके अलावा रेलवे की अलाभकारी गतिविधियों, जैसे- स्कूल, हॉस्पिटल, कैटरिंग, रियल एस्टेट और इसके सिक्यॉरिटी सेटअप, आरपीएफ को कोर बिजनस से अलग किए जाने का समर्थन किया है।