लखनऊ : सूबे की नई योगी सरकार द्वारा प्राइवेट स्कूलों पर शिकंजा कसने के संदर्भ में मंगलवार को राजधानी के में एसोशिएसन अॉफ प्राइवेट स्कूल्स उत्तर प्रदेश ने अपना पक्ष रखने के लिये पत्रकार वार्ता का आयोजन किया । वार्ता में नेशनल इंडीपेंडेंस स्कूल एलाइन्स के पदाधिकारियों ने भी भाग लिया । एलाइन्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि पूरे देश में शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद प्राइवेट स्कूलों को गलत नज़र से देखा जा रहा है । योगी सरकार पर प्राइवेट स्कूलों को समाप्त करने का आरोप लगातें हुए शर्मा ने कहा कि सरकार ऐसे कानून बना रही है जिससे प्राइवेट स्कूल्स बदनाम हो रहे है । सरकार शिक्षा की क्वालिटी बढ़ाये न कि प्राइवेट स्कूलों को समाप्त करे ।
एसोशिएसन के अध्यक्ष अतुल श्रीवास्तव ने सरकारी स्कूलों पर दोषारोपण करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों को सुधार नहीं पा रही है और प्राइवेट स्कूलों को बन्द करने का प्रयास कर रही है । पूरे देश में केवल 6.4 प्रतिशत सरकारी स्कूलों ने मानकों को पूरा किया है और बाकी के सरकारी स्कूल बिना मानकों के चल रहे है । उन्होनें कहा कि योगी सरकार कह रही है कि प्राइवेट स्कूल केवल टीचर्स को वेतन देने जितनी फीस ले पर ये कैसे संभव हो सकता है ।
व्यक्ति लाखों करोडो रुपये लगा कर जमीन और बिल्डिंग बनाता है और उसी हिसाब से फीस लेता है । श्रीवास्तव ने बताया कि इस एसोशिएसन के साथ प्रदेश के लगभग एक हजार स्कूल शामिल है जो योगी सरकार की इस नीति के खिलाफ है । सरकार से प्राइवेट स्कूलों के लिये लड़ाई लडने की बात करते हुए कहा कि यदि जल्दी ही प्राइवेट स्कूलों के हितों में कानून नहीं बनाया तो हम सब प्राइवेट स्कूल्स वाले अपने स्कूलों को बन्द करके विरोध प्रदर्शन करने का काम करेंगे । हलाकिं दोनों प्राइवेट संगठनों ने माना कि शिक्षा में पैसा अब महत्वपूर्ण हो गया है जो कि नहीं होना चाहिए था । उन्होनें कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि सरकारी लोग क्यों नहीं अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाते है ? यदि ऐसा हो गया तो प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था अपने आप सुधर जायेगी । अभिभावकों के मत्थे फीस बढ़ाने का आरोप लगातें हुए कहा कि आज के दौर का अभिभावक स्वयं आधुनिक व्यवस्था देने को कहता है और इसके लिये फीस बढ़ाना जरूरी हो जाता है ।
@शाश्वत तिवारी