नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। उत्तर प्रदेश भी उनमें से एक था। हिंसक प्रदर्शनों में करोड़ों की सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हुआ था। राज्य सरकार ने इसकी भरपाई के लिए लोगों को चिन्हित किया और वसूली के लिए नोटिस भिजवाया। कई जिलों में लोगों ने हर्जाने की रकम भरी।
राजधानी लखनऊ में भी संपत्ति को नुकसान हुआ था। सरकार ने यहां भी दर्जनों लोगों को वसूली के लिए नोटिस भेजा। इनमें पूर्व आईपीएस अफसर एस आर दारापुरी और सामाजिक कार्यकर्ता और अभिनेत्री सदफ जफर का भी नाम है।
इतना ही नहीं, सरकार ने इन लोगों के नाम, तस्वीर और पते के साथ शहर में होर्डिंग्स लगवा दिए। अब इसे लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने योगी सरकार पर हमला बोला है।
प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, ‘यूपी की भाजपा सरकार का रवैया ऐसा है कि सरकार के मुखिया और उनके नक्शे कदम पर चलने वाले अधिकारी खुद को बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान से ऊपर समझने लगे हैं। उच्च न्यायालय ने सरकार को बताया है कि आप संविधान से ऊपर नहीं हो। आपकी जवाबदेही तय होगी।’
बता दें कि आज इस मामले में दोपहर तीन बजे इलाहाबाद हाईकोर्ट सुनवाई करेगी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। वह खुद इसकी सुनवाई करेंगे।
बताते चलें कि लखनऊ में लगाए गए इन होर्डिंग्स में एस आर दारापुरी और सदफ जफर के अलावा वकील मोहम्मद शोएब, थिएटर आर्टिस्ट दीपक कबीर समेत शहर के कई सम्मानित लोगों के नाम, तस्वीरें और पते दर्ज हैं। सभी लोग जमानत पर बाहर हैं।
CAA हिंसा मामले में सरकार की ओर से आरोपियों को भुगतान न करने पर संपत्ति जब्त किए जाने का नोटिस भी मिल चुका है।
नोटिस मिलने पर उनका कहना है कि वह संपत्ति जब्त किए जाने संबंधी मामले में वह सरकार के खिलाफ अदालत में लड़ाई लड़ेंगे।
सदफ जफर ने होर्डिंग मामले को लेकर कहा, ‘मैं भाग नहीं रही हूं। ये बेहद निराशाजनक है कि हमारे नाम, तस्वीरें और पते इसमें दर्ज हैं।’
सदफ जफर ने कहा, ‘जब मैं जेल में थी तो मुझे रिकवरी के लिए नोटिस मिला था। मैंने जेल अधिकारी से पूछा था कि जेल में रहते हुए मैं इस केस को अदालत के सामने कैसे रख सकती हूं। मुझे कोई जवाब नहीं मिला। किसी ने मेरी बात नहीं सुनी।’
उन्होंने आगे कहा, ‘आप हमारा नाम-पता दिखाकर उन जगहों पर होर्डिंग्स लगाकर जहां से हमारे बच्चे गुजरते हैं, स्कूल जाते हैं, उनके दोस्त आते हैं, उनके मां-बाप जाते हैं, टीचर्स जाते हैं, आप यह दिखाकर किस तरह से बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। यह पूरी तरह से गैरकानूनी है।’
एस.आर. दारापुरी ने कहा, ‘ये मैं समझता हूं कि हम लोगों को बदनाम करने और हम लोगों को टारगेट करने के इरादे से हमारे पोस्टर लगाए गए हैं। इसमें हमारी मानहानि भी है और इससे हमारी लाइफ और लिबर्टी भी जुड़ी है, उसको भी बहुत बड़ा खतरा पैदा हुआ है। इस पॉइंट को लेकर हम लोग हाईकोर्ट में चैलेंज करेंगे।’
दीपक कबीर ने कहा,’जिस देश में एक विरोध करने के आधार पर आप इतना किसी के पीछे पड़ जाएं, वो हैं न कि तेरा निजाम है सिल दे जुबां शायर की, या निसार मैं तेरी गलियों पे आई वतन की जहां चली है रस्म, कि ना कोई सिर उठा के चले। हमें गिरफ्तार किया गया था। हमारे साथ मारपीट की गई। हमें जेल भेजा गया और फिर हमें जमानत पर रिहा किया गया। हम पर दबाव बनाने का ये नया तरीका है। आपको हमारा पता मालूम है, हमारे पास आपका भेजा नोटिस है तो फिर ये (होर्डिंग्स) क्यों? क्या ये डर पैदा करने के लिए है। अगर हां, तो कैसे कोई सरकार अच्छी सरकार कहला सकती है।’