कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी के वाराणसी से चुनाव लड़ने की अटकलें फिर तेज हो गई हैं।
वायनाड में रविवार को चुनाव प्रचार के दौरान प्रियंका से वाराणसी से चुनाव लड़ने संबंधी सवाल पूछे गए? इस पर प्रियंका ने कहा, ‘अगर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मुझसे वाराणसी से चुनाव लड़ने के लिए कहते हैं, तो मैं खुशी से चुनाव लड़ूंगी।’
प्रियंका गांधी के वाराणसी से चुनाव लड़ने को लेकर अभी भी सस्पेंस बरकरार है। एक अंग्रेजी अखबार ने जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से पूछा कि वाराणसी लोकसभा सीट को लेकर कांग्रेस ने सस्पेंस बनाए रखा है। क्या आपकी बहन, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा वाराणसी में उम्मीदवार बनने जा रही हैं? तो राहुल का जवाब था,- मैं आपको संदेह में छोड़ दूंगा। सस्पेंस हमेशा एक बुरी चीज नहीं है!
इसके बाद राहुल गांधी ने जवाब दिया कि प्रियंका के वाराणसी से चुनाव लड़ने के खबर की ना मैं पुष्टि कर रहा हूं ना ही खंडन कर रहा हूं।
इससे पहले जब प्रियंका के पति राबर्ट वाड्रा से पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि वह किसी भी जिम्मेदारी के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। अगर कांग्रेस उन्हें ये रोल देती है तो वो जरूर पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ेंगी।
अगर वाराणसी लोकसभा सीट का इतिहास देखें तो 1991 के बाद से 2004 को छोड़ ये सीट बीजेपी की परंपरागत सीट रही है। हालांकि 2009 का लोकसभा चुनाव बीजेपी के लिए सबसे मुश्किल रहा है।
बीजेपी के कद्दावर नेता मुरली मनोहर जोशी यहां सिर्फ 17 हजार वोटों से चुनाव जीत पाए थे।
बात करें जातीय समीकरण की तो इस सीट पर करीब साढ़े तीन लाख वैश्य, ढाई लाख ब्राह्मण, तीन लाख से ज्यादा मुस्लिम, डेढ़ लाख भूमिहार, एक लाख राजपूत, दो लाख पटेल, अस्सी हजार चौरसिया को मिलाकर करीब साढ़े तीन लाख ओबीसी वोटर और करीब एक लाख दलित वोटर हैं।
2014 के लोकसभा चुनावों में दिल्ली से वाराणसी गए आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल को भी यहां हार मिली थी। इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय तीसरे स्थान पर रहे थे।