श्रीचंद परमानंद हिंदुजा ने अपनी अपील में इन दस्तावेजों को कानूनी रूप से अप्रभावी घोषित करने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि यह दस्तावेज न तो वसीयत, न पावर ऑफ अटॉर्नी और न ही किसी अन्य बाध्यकारी दस्तावेज के रूप में मान्य होना चाहिए। इसके अलावा इस दस्तावेज के इस्तेमाल को रोकने के लिए भी निर्देश देने की अपील की गई है।नई दिल्लीः ब्रिटेन के अग्रणी कारोबारी समूह हिंदुजा ग्रुप के भाइयों का संपत्ति को लेकर विवाद इंग्लैंड के उच्च न्यायालय में पहुंच गया है। हिंदुजा परिवार ब्रिटेन के अरबपतियों में आता है। यह मामला अदालत में परिवार के ‘संरक्षक’ कहे जाने वाले 84 वर्षीय श्रीचंद परमानंद हिंदुजा लेकर गए हैं। उन्होंने अपने भाइयों जीपी हिंदुजा (80), पीपी हिंदुजा (75) और एपी हिंदुजा (69) के खिलाफ मुकदमा दायर किया है।
यह मुकदमा दो जुलाई, 2014 के पत्र की ‘वैधता और प्रभाव’ के बारे में है। पत्र में वक्तव्य में कहा गया है कि सभी भाई एक-दूसरे को अपना ‘निर्वाहक’ नियुक्त करते हैं और किसी एक भाई के नाम पर संपत्ति में चारों भाइयों का हिस्सा होगा। इसी तरह एक जुलाई, 2014 का एक और पत्र भी इस विवाद से जुड़ा है।
श्रीचंद परमानंद हिंदुजा ने अपनी अपील में इन दस्तावेजों को कानूनी रूप से अप्रभावी घोषित करने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि यह दस्तावेज न तो वसीयत, न पावर ऑफ अटॉर्नी और न ही किसी अन्य बाध्यकारी दस्तावेज के रूप में मान्य होना चाहिए। इसके अलावा इस दस्तावेज के इस्तेमाल को रोकने के लिए भी निर्देश देने की अपील की गई है।
उच्च न्यायालय के चांसरी डिविजन में इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति फॉक ने इसमें आंशिक रूप से गोपनीयता आदेश जारी करने से इनकार करते हुए एसपी हिंदुजा की पुत्री वीनू को उनके पिता की बीमारी की वजह से ‘मुकदमे में मित्र’ के रूप में काम करने और अपने पिता के हितों का संरक्षण करने की इजाजत दी है।
‘संडे टाइम्स’ की 2020 की अमीरों की सूची के अनुसार हिंदुजा ग्रुप ऑफ कंपनीज का संचालन करने वाले हिंदुजा भाइयों की संपत्ति 16 अरब पाउंड है। उनका कारोबारी साम्राज्य मुंबई में है जिसका मुख्यालय लंदन में है। यह समूह वाहन, होटल, बैंकिंग और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में कार्यरत है।