लखनऊ- लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों के ऊपर डी.ए.वी.पी. के द्वारा दमनात्मक रवैया अपनाया जा रहा है। डी.ए.वी.पी. विज्ञापन नीति-2016 की प्रतियाँ जलायी गयीं और शपथ ली कि आगे जब तक यह विज्ञापन नीति वापस नहीं होती, तब तक आन्दोलन जारी रहेगा।
यूपी के प्रकाशकों को एकजुट करने के लिए ‘डी.ए.वी.पी. नीति विरोधी मंच’ नाम से एक वाट्सएप ग्रुप बनाया जाये । इस ग्रुप में एक सकारात्मक सोच अपनाते हुए ग्रुप के सभी सदस्यों को एडमिन का अधिकार दिया गया है। अब इस ग्रुप ने एक संगठनात्मक का रूप ले लिया है।
डी.ए.वी.पी. की नयी नीति के विराध में नीति विरोधी मंच के तहत यहाँ प्रदेश के मुद्रक, प्रकाशक, सम्पादक, बड़ी संख्या में यूपी प्रेस क्लब में एकत्रित हुए।
इस बैठक में लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए वक्ताओं ने कहा कि यह समाचार पत्र भारत सरकार की ग्राम विकास योजनाओं को प्रकाशित करके सुदूर गांँवों तक पहुँचाते है। और इन समाचार पत्रों में 90 प्रतिशत समाचार होते हैं तथा 10 प्रतिशत विज्ञापन व अन्य समाजिक समाचार होता हैं। जबकि मुटठीभर समाचार पत्र जो पूंजीपतियों के हैं जिनमें 80 प्रतिशत विज्ञापन होते हैं।
प्रदेश भर से आये प्रसे प्रतिनिधियों तथा प्रकाशकों ने एक स्वर से कहा कि हमारे अखबार चौपालों गाँवों में हफ्तों दिखायी पड़ते है। गाँव का जन-मानस हमारे साथ होगा। डी.ए.वी.पी. की नयी नीति को जब तक वापस नहीं लिया जायेगा। आन्दोलन जारी रहेगा। सभी ने विरोध पत्र भरकर भारत सरकार को भेजने के लिए एकत्रित किया। वक्ताओं ने आहवान किया कि अपने-अपने समाचार पत्रों में डी.ए.वी.पी. की नयी पर विश्लेषणात्मक आलेख प्रमुखता से प्रकाशित करें जिससे डी.ए.वी.पी. द्वारा लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों के ऊपर सरकार की दमनात्मक नीति से जन-मानस भी परिचित हो सके। वक्ताओं ने एक कार्ययोजना तय करने के लिए प्रस्ताव रखा। कार्यक्रम में लगभग 300 से अधिक प्रकाशकों एवं पत्रकारों ने शिरकत की।
बैठक में मंच पर शशिनाथ दुबे, नवाब शिकोह आज़ाद, संजोग वाल्टर, हारून कारी, अरूण कुमार श्रीवास्तव आलोक रस्तोगी, डा.नसीमुद्दीन रहे। जिसमें वक्ताओं में अरूण मिश्रा, रजा रिजवी, वसीम, अमरेन्द्र, अभ्युदय, अमरनाथ गुप्ता, मो. हारून, वसीम सदाब, राजू यादव एवं राजेन्द्र ने एक स्वर से नयी नीति का मुखर विरोध किया।
डी.ए.वी.पी. की नयी नीति की चर्चा करते हुए वक्ताओं ने आर.एन.आई एवं ए बी.सी.द्वारा सर्कुलेशन जाँच, पी.टी.आई, यू.एन.आई की वायर सर्विस लेने, प्रेस काउंसिल की वार्षिक शुल्क की अनिवार्यता, कर्मचारियों का पी.एफ एकाउन्ट तथा प्रिंटिग प्रेस की बाध्यता की विस्तृत जानकारी को आपस में साझा किया तथा इन दुरूह मानकों का विरोध किया। क्रार्यक्रम में लगभग हर जिले से प्रकाशक एवं पत्रकारों ने शिरकत की।
रिपोर्ट- @शाश्वत तिवारी