नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने आरटीआई एक्ट में एक अहम फैसला दिया जो की केरल हाईकोर्ट के निर्देश के विपरीत है ! जीहां सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी कि सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत प्रतियोगी परीक्षाओं की आंसर सीट का मूल्यांकन करने वाले परीक्षक के नाम का खुलासा नहीं किया जा सकता। ऐसा किया तो परीक्षक का जीवन संकट में पड़ सकता है। असफल अभ्यर्थी उनको नुकसान पहुंचा सकते हैं।
न्यायाधीश एमवाई इकबाल व अरुण मिश्रा की पीठ ने यह भी कहा कि पारदर्शिता कानून के तहत अभ्यर्थी को आंसर सीट की स्कैनिंग कॉपी लेने व साक्षात्कार अंकों का ब्योरा लेने का अधिकार है। यदि हम हर परीक्षा के परीक्षकों के नामों का खुलासा करने की अनुमति दे देते हैं तो इससे अन्य अभ्यर्थी भविष्य में अनुचित लाभ उठाने की कोशिश करेंगे। परीक्षकों को मूल्यांकन कार्य इस उम्मीद से देते हैं कि वे अपना काम ईमानदारी से करेंगे। बदले में उनकी अपेक्षा होती है कि ईमानदारी से निर्वहन के बाद उन्हें अप्रिय स्थिति का सामना न करना पड़े।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय केरल हाईकोर्ट के निर्देश के विपरीत है, जिसमें उसने राज्य लोक सेवा आयोग को उत्तर पुस्तिका जांचने वाले परीक्षक के नाम का खुलासा करने का निर्देश दिया था।