नई दिल्ली- रियो ओलंपिक में रजत पदक जीतने के बाद शटलर पीवी सिंधू को कैश अवार्ड और पुरस्कारों को देने की होड़ लगी है, लेकिन खेल मंत्रालय की सिफारिश के बावजूद देश का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण शायद उन्हें इस बार नहीं मिल पाए। पद्म पुरस्कारों के चयन को गठित कमेटी ने पहले दौर की बैठक में सिंधू को पद्म भूषण देने पर एतराज जताया है।
सूत्रों के मुताबिक कमेटी का कहना है कि सिंधू को बीते वर्ष ही पद्म श्री दिया गया है। ऐसे में उन्हें इस बार पद्म भूषण दिया जाना नियमों के खिलाफ होगा। हालांकि पद्म पुरस्कारों पर अंतिम फैसला होने में अभी देर है, लेकिन कमेटी की ओर से जताई गई इस आपत्ति के बाद सिंधू को इस बार पद्म भूषण मिलने पर सवालिया निशान लग गए हैं।
खेल मंत्रालय ने रियो ओलंपिक और पैरालंपिक में पदक जीतने वाले छह खिलाडिय़ों में से पीवी सिंधू और देवेंद्र झाझरिया के नाम की सिफारिश गृह मंत्रालय को पद्म भूषण के लिए की थी, जबकि साक्षी मलिक, मरियप्पन, वरुण भाटी और दीपा मलिक का नाम पद्म श्री के लिए भेजा था। मंत्रालय की यह नई पहल थी। इनमें से किसी ने भी पद्म पुरस्कारों के लिए आवेदन नहीं किया था। माना जा रहा था कि इतनी बड़ी उपलब्धि और खेल मंत्रालय की सिफारिश होने के बाद इन खिलाडिय़ों को पद्म पुरस्कार मिलने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
नियम कहते हैं कि एक पद्म पुरस्कार मिलने के चार से पांच वर्ष में ही दूसरा पद्म पुरस्कार मिल सकता है। सिंधू का केस यहीं से खराब हो रहा है। कमेटी ने बाकी किसी की भी सिफारिश पर आपत्ति नहीं जताई है। देवेंद्र को पद्म श्री 2012 में मिला था जबकि बाकी सभी का पद्म पुरस्कारों के लिए यह पहला आवेदन है।
जिस नियम के तहत सिंधू को इस बार पद्म भूषण नहीं देने के लिए कहा गया है। इसी के तहत पहलवान सुशील कुमार और साइना नेहवाल का पद्म भूषण केलिए आवेदन खारिज किया जाता रहा है। साइना को पद्म श्री मिलने के पांच साल बाद पद्म भूषण तो मिल गया, लेकिन इस पुरस्कार केलिए सुशील अब तक बाट जोह रहे हैं। उन्होंने इस बार भी पद्म भूषण के लिए आवेदन किया है। [एजेंसी]