मंडला- मंडला के अंजनिया वन परिक्षेत्र अंतर्गत ककैया गांव में कान्हा नेशनल पार्क से लगे जंगल के करीब दो एकड के इलाके में अजगरों की बस्ती है। यहाँ चट्टान और गुफाओं में बड़ी संख्या में अजगर निवास करते है। अजगरों की इस बस्ती को अजगर दादर नाम से जाना जाता है। यहां ठंड के दिनों में एक – दो नहीं बल्कि सैंकड़ों अजगरों को धूप सेंकते देखा जा सकता है।
अजगरों की इस बस्ती को अजगर दादर के नाम से जाना जाता है क्योंकि इस जंगल और मैदान में अजगरों का बसेरा है। इन अजगरों में आसपास के ग्रामीणो की गहरी धार्मिक आस्था है। ये ग्रामीण वर्षों से विशेष पर्वों में इन अजगरों की पूजापाठ करते चले आ रहे है। यहाँ अजगर और इंसानो के बीच अजीब सा रिश्ता है।
ग्रामीण को अजगरों से खतरा महसूस नहीं होता और अजगरों को ग्रामीणो से। यही वजह है कि ग्रामीण उनकी सुरक्षा को लेकर बेहद सावधान रहते हैं। बताया जाता है कि सन 1926 में आई बाढ के बाद यह इलाका पूरी तरह पोला हो गया तो यहाँ चूहों गिलहरी आदि ने अपना बसेरा बना लिया। इसी पोले स्थान को अजगरों ने भी अपना आशियाना बना लिया और यह इलाका अजगर दादर कहलाने लगा। बडा शरीर वाला अजगर अपनी मस्तानी चाल से बेफिक्र चल कर धूप सेंकता है तो अन्य अजगर चटटानों के बीच सुरक्षात्मक तरीके से आराम फरमाते है।
अजगरों की इस बस्ती को सुर्ख़ियों में लाने वाले तात्कालीन रेंजर सुधीर मिश्रा की मानें तो करीब तीन साल पहले गश्त के दौरान उन्हें करीब एक दर्ज़न अजगर साथ मिलने की खबर लगी। जिसके बाद उन्होंने अजगरों पर दिलचस्पी दिखाते हुए उनके संरक्षण के लिए वरिष्ठ अधिकारीयों को प्रस्ताव भेजा।
सुधीर मिश्रा ने बताया कि अजगर कोल्ड ब्लडेड होते है। सर्दी के मौसम में अपनी प्रक्रति के चलते अजगरों को सूर्य के प्रकाश की जरूरत होती है परिणामस्वरूप वे बाहर निकलते है और ग्रामीणों के आकर्षण का केंद्र बन जाते है। नर,मादा और बच्चों का यह तालमेल केवल इन्ही दिनों देखने को मिलता है। स्वभाव से सीधा और सरल अजगर इंसानों को परेशान नहीं करता, वह जहरीला भी नहीं, इसकी मादा नर से बडी होती है, मादा का स्वभाव यह कि अपने अंडों के पास वह उन तीन महीनों तक रहती है जब तक उसके बच्चे बडे होकर आजाद जीवन जीने न लगे।
पूर्व सामान्य वनमण्डल के डीएफओ लालजी मिश्रा अजगरों की इस बस्ती को संरक्षित करने पायथन पार्क बनाने की बात कर रहे हैं। बहरहाल विभाग द्वारा उक्त स्थान के चारों तरफ फेंसिंग कर वृक्षारोपण का कार्य किया गया है। पायथन पार्क बनाये जाने का प्रस्ताव विभाग ने राज्य शासन को भेज दिया है। यदि यह स्वीकृत होता है तो इससे न सिर्फ अजगर संरक्षित होंगे बल्कि जिले का पर्यटन भी बढ़ेगा।
यदि वन विभाग संजीदगी से अजगरों की सुरक्षा करना चाहता है तो उसे जल्द पाइथन पार्क को मजूरी देनी चाहिए। यदि ऐसा हुआ तो बाघों की धरती कान्हा टाइगर रिज़र्व के लिए पूरे विश्व में पहचाना जाने वाला ये आदिवासी जिला अजगरों की बस्ती के लिए भी विश्व पटल पर खुद को स्थापित कर लेगा।
रिपोर्ट:- सैयद जावेद अली