नई दिल्ली – बीजेपी की नैशनल एग्ज़ेक्युटिव कमिटी और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने वाले असम के युवा नेता प्रद्युत बोरा ने कहा है कि उन्होंने सरकार और पार्टी में लोकतांत्रिक परंपरा खत्म होने की वजह से यह कदम उठाया है। 4 पन्नों के अपने इस्तीफे में बोरा ने पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी प्रेजिडेंट अमित शाह की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। बोरा ने अमित शाह को अहंकारी और मोदी को अलोकतांत्रिक कहा है।
बीजेपी में रहे बोरा की अहमियत इससे समझी जा सकती है कि उन्हें ही 2007 में पार्टी का इन्फर्मेशन सेल बनाने का जिम्मा दिया गया था और उन्हें इसका नैशनल कन्वीनर भी बनाया गया था।
बोरा ने कहा है कि बीजेपी अब दूसरी पार्टियों से अलग नहीं रही। उन्होंने बीजेपी प्रेजिटेंड अमित शाह को इस्तीफा भेजने के बाद कहा, ‘बीजेपी में एक किस्म का पागलपन समा गया है। किसी भी कीमत पर जीतने की सनक ने पार्टी के बुनियादी मूल्यों को नष्ट कर दिया है।’
बोरा ने शाह के बारे में कहा कि वह बहुत ही सेंट्रलाइज्ड तरीके से फैसले करते हैं। इससे कई पार्टी अधिकारियों को यह लगता है कि उनके पास कोई अधिकार ही नहीं रह गए हैं। बोरा ने कहा, ‘किसी भी संगठन में नेता की शैली को उसके नीचे के लोग तुरंत कॉपी करते हैं। कम से कम अपने प्रदेश में तो मैं कई जूनियर अमित शाहों को देख रहा हूं, जिनमें आम कार्यकर्ताओं के मुकाबले क्षमता भले ही 10 गुनी कम हो, लेकिन उनका अहंकार 10 गुना ज्यादा है।’
बोरा ने कहा है, ‘सरकार में भी लोकतंत्र नहीं रह गया है। मोदी ने इस देश की बेहतरीन लोकतांत्रिक परंपरा को डैमेज कर दिया है।’ उन्होंने अपने लेटर में लिखा है, ‘विदेश मंत्री तक को पता नहीं होता कि विदेश सचिव को हटाया जाने वाला है। कैबिनेट मिनिस्टर अपने ओएसडी तक नियुक्त नहीं कर सकते। सारे अधिकार पीएमओ को दे दिए गए हैं। क्या देश में कैबिनेट सिस्टम बचा है? मोदी ने इस देश की बेहतरीन लोकतांत्रिक परंपरा को डैमेज कर दिया है। कोई भी राष्ट्रीय पदाधिकारी और सांसद इस बारे में मोदी जी से सवाल करने का साहस नहीं कर सकता है।’
आईआईएम- अहमदाबाद से पढ़कर निकले बोरा ने बताया, ‘मैंने 2004 में बीजेपी जॉइन की थी। अटल बिहारी वाजपेयी ने जिस तरह 24 दलों का गठबंधन चलाया, उससे मैं प्रभावित था।’
बोरा ने कहा, ‘देश को एक अलग तरह के राजनीतिक विकल्प की जरूरत है। या तो बीजेपी वैसी बने या लोग विकल्प तलाश लेंगे।’ उन्होंने बताया कि उन्हें आप, कांग्रेस और असम गण परिषद की असम ईकाइयों से ऑफर मिले थे, लेकिन वह उनके साथ नहीं जाना चाहते हैं।