नई दिल्लीः आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार सुबह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। कांग्रेस पार्टी के सूत्रों का कहना है कि दोनों नेताओं के बीच ईवीएम और दूसरे कई मसलों पर बातचीत हुई है।
चुनावी नतीजे आने के बाद अगर एनडीए को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है तो उस स्थिति में यूपीए कैसी भूमिका निभाएगा, इस विषय पर भी चर्चा हुई है। माना जा रहा है कि ममता बनर्जी, मायावती और अखिलेश यादव जैसे नेताओं को यूपीए के साथ लाने के लिए चंद्रबाबू नायडू इनसे बातचीत करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंगलवार को विपक्षी दलों की वह याचिका, जिसमें ईवीएम की गड़बड़ी रोकने के लिए कम से कम 50 प्रतिशत मतदान पर्चियों का मिलान ईवीएम से कराए जाने की बात कही गई थी, खारिज कर दी गई थी। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के मुद्दे को लेकर विपक्ष ने कई बार पहले भी एकजुटता दिखाई थी। विपक्षी दलों में आप, टीएमसी, आरजेडी और बसपा सहित कई दल बैलेट पेपर की वापसी की मांग कर चुके हैं।
बता दें इस इससे पहले भी चंद्रबाबू नायडू ने विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने में अहम भूमिका निभाई थी। राहुल गांधी के साथ बैठक में चंद्रबाबू नायडू ने साफ तौर पर कहा कि उन्हें और दूसरे नेताओं को ईवीएम पर भरोसा नहीं है। ईवीएम की गड़बड़ी रोकने के लिए कम से कम 50 प्रतिशत मतदान पर्चियों का मिलान ईवीएम से कराए जाने की मांग पहले चुनाव आयोग ने नहीं मानी थी, अब सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिका खारिज कर दी है।
ऐसे में सभी विपक्षी दल अब कौन सी रणनीति अपनायेंगे, दोनों नेताओं ने इस पर विस्तार से चर्चा की है। यह भी संभव है कि वोटों की गिनती से पहले सभी विपक्षी दल एक बार फिर बैठक करें। चंद्रबाबू नायडू पहले भी कह चुके हैं कि ईवीएम पर संदेह है। मतदाता का विश्वास केवल पेपर ट्रायल मशीनों के माध्यम से ही बहाल किया जा सकता है। जर्मनी जैसा उन्नत देश भी पेपर बैलेट का इस्तेमाल करता है। नीदरलैंड में भी अब बैलेट पेपर से ही चुनाव हो रहे हैं।