राहुल गांधी ने अप्रत्यक्ष तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि – आप एकतरफा फैसला करते हैं। दुनिया में सबसे बड़ा कठोर लॉकडाउन करते हैं। आपके पास लाखों दिहाड़ी मजदूर हैं जो लाखों किलोमीटर पैदल चल रहे हैं। तो यह एकतरफा नेतृत्व है, जहां आप आते हैं कुछ करते हैं और चले जाते हैं। यह बहुत ही विनाशकारी है। लेकिन यह समय की बात है। दुर्भाग्यपूर्ण है।
नई दिल्ली : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कोरोना वायरस संकट के चलते वैश्विक व्यवस्था के नए सिरे से आकार लेने की संभावना पर अमेरिका के पूर्व विदेश उप मंत्री निकोलस बर्न्स से बातचीत की।
राहुल से बातचीत में निकोलस ने कोरोना को लेकर कहा कि भारत और कैंब्रिज में एक से हालात हैं। यहां भी लॉकडाउन है। वहीं राहुल ने कहा कि इन दिनों अमेरिका और भारत में वह सहिष्णुता देखने को नहीं मिल रही है जो पहले थी।
अमेरिका और भारत के संबंधों पर राहुल ने कहा कि बीते कुछ समय में हम दोनों देशों के बीच साझेदारी बढ़ी है लेकिन अब यह लेन देने ज्यादा हो गया है, जो पहले रक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा को लेकर हमारे संबंध थे, वह अब रक्षा पर केंद्रित हो गए हैं। हम खुले विचारों वाले हैं, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि वो अब गायब हो रहा है। यह काफी दुःखद है कि मैं उस स्तर की सहिष्णुता को नहीं देखता, जो मैं पहले देखता था। ये दोनों ही देशों में नहीं दिख रही।
राहुल ने निकोलस से पूछा कि वह भारत और अमेरिका के रिश्ते को कैसे देखते हैं इस पर निकोलस ने कहा कि 70-80 के दशक में यहां भारतीय इंजीनियर, डॉक्टर बने। आज हमारे राज्यों में गवर्नर, सीनेटर भारतीय अमेरिकी हैं। कई टेक कंपनियों के सीईओ भारतीय अमेरिकी हैं। ऐसे में यह एक दोनों देशों के बीच में ऐसा पुल है जो हमारे रिश्ते को और मजबूत करता है।
कोविड पर राहुल ने पूछा कि आपको क्यों लगता है कि दुनिया के देश एक दूसरे को सहयोग क्यों नहीं कर रहे हैं।
इस पर निकोलस ने कहा कि यह बहुत ही दुखद है कि इस महामारी के समय में देश एक साथ नहीं आ पाए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के एक साथ आने और दुनिया में सहयोग करने का मौका था।
राहुल ने कहा कि हम एक भयानक समय से गुज रहे हैं लेकिन जरूर बेहतर समय आएगा।
उन्होंने अप्रत्यक्ष तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि – आप एकतरफा फैसला करते हैं। दुनिया में सबसे बड़ा कठोर लॉकडाउन करते हैं। आपके पास लाखों दिहाड़ी मजदूर हैं जो लाखों किलोमीटर पैदल चल रहे हैं। तो यह एकतरफा नेतृत्व है, जहां आप आते हैं कुछ करते हैं और चले जाते हैं। यह बहुत ही विनाशकारी है। लेकिन यह समय की बात है। दुर्भाग्यपूर्ण है।
राहुल ने कहा कि विभाजन वास्तव में देश को कमजोर करने वाला होता है, लेकिन विभाजन करने वाले लोग इसे देश की ताकत के रूप में चित्रित करते हैं। देश की नींव को कमजोर करने वाले लोग खुद को राष्ट्रवादी कहते है।
निकोलस ने कहा कि हमारे देश में संस्थान मजबूत बने हुए हैं। पिछले कुछ दिनों से सेना और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी स्पष्ट कह रहे हैं कि हम अमेरिकी सैन्य टुकड़ियों को सड़कों पर नहीं उतारेंगे। यह पुलिस का काम है, न कि सेना का। हम संविधान का पालन करेंगे। हम लोकतांत्रिक हैं, अपनी स्वतंत्रता के कारण हमें कभी-कभी दर्द से गुजरना पड़ सकता है, लेकिन हम उनकी वजह से बहुत मजबूत हैं। अधिनायकवादी देशों के मुकाबले यही हमारा फायदा है। कई मायनों में भारत और अमेरिका एक जैसे हैं। हम दोनों ब्रिटिश उपनिवेश के शिकार हुए, हम दोनों ने अलग-अलग शताब्दियों में, उस साम्राज्य से खुद को मुक्त कर लिया।
इससे पहले राहुल ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा, ‘निकोलस बर्न्स से बातचीत की है कि कैसे कोरोना वायरस संकट वैश्विक व्यवस्था को नए सिरे से आकार दे रहा है। शुक्रवार सुबह 10 बजे मेरे सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जुड़िए।’
राहुल ने बर्न्स के साथ की गई बातचीत के कुछ अंश भी जारी किए हैं। पूर्व राजनयिक बर्न्स इन दिनों हारवर्ड कैनेडी स्कूल में प्रोफेसर हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी कोविड-19 संकट के असर एवं इससे निपटने के तरीकों को लेकर अलग अलग क्षेत्रों की हस्तियों के साथ संवाद कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने उद्योगपति राजीव बजाज से बातचीत की थी जिसमें बजाज ने लॉकडाउन को कठोर करार देते हुए कहा था कि इससे कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से तो नहीं रुक पाया, लेकिन देश की जीडीपी औंधे मुंह गिर गई।
राहुल विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रमुख विशेषज्ञों से चर्चा की श्रृंखला में जन स्वास्थ्य पेशेवर आशीष झा और स्वीडिश महामारी विशेषज्ञ जोहान गिसेक, प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री रघुराम राजन और नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी से भी बातचीत कर चुके हैं।