नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सोमवार को उपवास रखेंगे। इसके लिए वे सुबह दस बजे राजघाट पहुंचेंगे और गांधी समाधि के सामने बैठेंगे। इस उपवास में राहुल अकेले नहीं होंगे बल्कि उनके साथ कांग्रेस पार्टी के वे तमाम समर्पित कार्यकर्ता होंगे, जिन्हें राहुल गांधी ने 9 अप्रैल को उपवास रखने का निर्देश दिया है। ऐसे तमाम नेता और कार्यकर्ता देश भर के कांग्रेस मुख्यालयों पर अपना उपवास रखेंगे। यहां दिल्ली में राहुल गांधी के साथ भी कई वरिष्ठ कांग्रसी नेता उपवास में शामिल होंगे।
इस उपवास के पीछे की वजह सांप्रदायिक सौहार्द के बिगड़ते माहौल और दलितों के खिलाफ हो रहे अत्याचार को बताया गया है। कांग्रेस के नए संगठन महासचिव अशोक गहलोत की तरफ से पार्टी के सभी प्रदेश अध्यक्षों, एआईसीसी महासचिवों/प्रभारियों और विधायक दल के नेताओं के भेजे गए दिशा निर्देश में कहा गया है कि सांप्रदायिक सौहार्द को बचाने और बढ़ाने के लिए सभी राज्यों और जिलों के कांग्रेस मुख्यलयों में 9 अप्रैल को उपवास रखा जाए ऐसा राहुल गांधी का निर्देश है। इसमें 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान हुई गड़बड़ियों और हिंसा के हवाले से कहा गया है कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है। बीजेपी शासित केन्दर और राज्य की सरकारों ने हिंसा रोकने और दलितों के हक के संरक्षण के लिए कुछ नहीं किया। ऐसे मुश्किल वक्त में कांग्रेस को आगे बढ़ कर नेतृत्व करने की दरकार है।
राहुल गांधी और कांग्रेस का उपवास बीजेपी के उपवास से दो दिन पहले हो रहा है। ज्ञात हो कि बीजेपी के सभी सांसद 12 अप्रैल को उपवास रखेंगे। ये निर्देश ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी की तरफ से पार्टी सांसदों को दिया गया है। दरअसल मोदी संसद नहीं चलने देने के लिए विपक्ष और ख़ासतौर पर कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहराया है। बीते शुक्रवार को बीजेपी संसदीय दल की बैठक में उन्होने बीजेपी सांसदों से कहा कि वे कांग्रेस की विभेदकारी नीतियों के खिलाफ 12 तारीख़ को उपवास रखें। दलितों के मामले ने जिस तरह के तूल पकड़ा और भारत बंद के दौरान जो हिंसा हुई उसके पीछे बीजेपी विपक्ष को ज़िम्मेदार ठहरा रही है।
टिप्पणियां जाहिर है कांग्रेस और बीजेपी दोनों उपवास के ज़रिए अपने अपने तरीक़े से दलितों के हक़ में खड़ा दिखने की कोशिश कर रही है।