देश में ही निर्मित ट्रेन-18 सेट का नाम ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ होगा। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को यह घोषणा की।
ट्रेन-18 में अलग से कोई इंजन नहीं है। इस रेलगाड़ी के एक सेट में 16 डिब्बे लगे हैं। इसे पहले दिल्ली-वाराणसी के बीच चलेगी। इसकी अधिकतम रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही इसे हरी झंडी दिखाएंगे
ट्रेन-18 को रायबरेली स्थित मॉर्डन कोच फैक्टरी ने 18 महीने में तैयार किया है। इस पर 97 करोड़ की लागत आयी है।
इसे पुरानी शताब्दी एक्सप्रेस रेलगाड़ी का उत्तराधिकारी माना जा रहा है जो 30 साल पहले विकसित की गयी थी।
ट्रेन-18 नई दिल्ली और वाराणसी के बीच चलेगी। दिल्ली और वाराणसी के मार्ग पर यह बीच में कानपुर और प्रयागराज रुकेगी।
यह ट्रेन 755 किलोमीटर की दूरी आठ घंटे में तय करेगी। मौजूदा समय में दूसरी ट्रेन को इस दूरी को तय करने में साढ़े ग्यारह घंटे का समय लगता है
यह देश की पहली इंजन-रहित ट्रेन होगी। इस ट्रेन के एग्जिक्यूटिव क्लास का किराया 2,800 रुपये से 2,900 रुपये के बीच और चेयर कार का किराया 1,600 रुपये से 1,700 रुपये के बीच रहेगा।
पूरी तरह से वातानुकूलित इस रेलगाड़ी में दो एक्जीक्युटिव चेयर कार होंगे।
गोयल ने कहा, ‘‘ यह पूरी तरह से भारत में बनी रेलगाड़ी है। आम लोगों ने इसके कई नाम सुझाए लेकिन हमने इसका नाम ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ रखने का निर्णय किया है।
यह गणतंत्र दिवस के मौके पर लोगों के लिए एक तोहफा है। हम प्रधानमंत्री से इसे जल्द हरी झंडी दिखाने का अनुरोध करेंगे।’’