मुंबई – मुंबई में जून के महीने में इतनी भारी बारिश 2005 में हुई थी। शुक्रवार की बारिश से मुंबई पानी-पानी हो गई। लोकल ट्रेन सेवा ठप हो गई। सड़कों पर पानी भर गया। ज्यादातर लोग ऑफिस से घर जाने का साहस नहीं कर पाए। कुछ लोग टैक्सी और रिक्शा से निकले। सांताक्रूज में पिछले 24 घंटों के भीतर 283.4mm बारिश दर्ज की गई। यह 24 जून, 2007 की बारिश 209.6mm से ज्यादा है। कोलाबा में 208.8mm बारिश दर्ज की गई। कोलाबा की अपेक्षित बारिश 2,230mm और सांताक्रूज में 2,558mm है। 10 पर्सेंट बारिश महज एक दिन में हो गई। शुक्रवार को आठ बजे सुबह से शाम 5.30 तक कोलाबा में 74.4mm बारिश हुई और सांताक्रूज में 111.8mm।
मौसम विभाग का कहना है कि शनिवार को भी मुंबई वालों को भारी बारिश से राहत नहीं मिलेगी। स्टेट एजुकेशन डिपार्टमेंट ने स्कूलों और कॉलेजों को शनिवार को बंद रखने का निर्देश दिया है। 60 साल के एक शख्स और उनकी पांच साल की पोती की शुक्रवार सुबह वडाला इलाके के सरदार नगर में बिजली गिरने से मौत हो गई। मॉनसून को लेकर बीएमसी का बजट 33, 514.15 रुपये का है फिर भी भारी बारिश में पूरी तरह से लाचार दिखा। मुंबई का ऐसा कोई इलाका नहीं बचा जहां पानी न भरा हो।
सिविक बॉडी के लिए सबसे ज्यादा शर्मिंदगी क्लीवलैंड पंपिंग स्टेशन को लेकर हुई। इसके निर्माण 116 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। इसका उद्घाटन शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बुधवार को किया था। इसमें समस्या तब उत्पन्न हुई जब एक बोल्डर गेट में फंस गया। यह पंपिंग स्टेशन वर्ली, कोलिवाड़ा, दादर और सेनापति बापत मार्ग में जल जमाव को नियंत्रित करने के लिए था।
सिविक बॉडी का दावा है कि तीन जून तक गाद निकालने का काम 99.4% हो चुका था। अधिकारियों ने बताया कि मीठी नदी में भी गाद निकालने का काम 99.3 पूरा हो चुका है। दो सालों में 250 करोड़ रुपये गाद निकालने पर खर्च किए गए हैं। अभी तक सिटी में स्थानीय क्षेत्रों में ही बाढ़ देखी गई है। शुक्रवार शाम को मीठी नदी का जल स्तर 4.5 मीटर तक बढ़ गया। सिविक अधिकारियों के बीच हड़कंप जैसी स्थिति बन गई थी क्योंकि यह स्तर खतरे के निशान से महज 0.2 मीटर नीचे था।
हालांकि बीएमसी आपदा कंट्रोल रूम में पूरी तरह से सक्रिय था। दिन में 10 बजे तक 1,000 फोन कॉल्स रिसीव किए गए। यहां नेताओं के आने का सिलसिला भी जारी रहा। सबसे पहले यहां मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पहुंचे। फिर आदित्य ठाकरे ने भी दस्तक दी। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि छह महीने के भीतर मुंबई में जल भराव की समस्या पर काबू पा लिया जाएगा। इससे पहले उद्धव ठाकरे ने कहा था कि इस मॉनसून में कोई बाढ़ नहीं आएगी।
दूसरी तरफ प्रसिद्ध जलविज्ञानी माधव चिताले ने 2005 की बाढ़ के बाद सिटी को बाढ़ से बचाने के लिए कई सिफारिशें सौंपी थीं। इन्होंने बीएमसी की कड़ी आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में साफ बताया गया था कि बारिश से निपटने के लिए कैसी तैयारी होनी चाहिए। इस बारिश से साफ है कि सिफारिशों पर अब तक अमल नहीं किया गया। लोकल ट्रेन नेटवर्क बुरी तरह से ठप हो गया। 2005 की बाढ़ में भी लोकल ट्रेनों की स्थिति ऐसी नहीं हुई थी। डिविजनल रेलवे मैनेजर शैलेंद्र कुमार ने कहा, ‘ट्रैक पर 200-250 mm पानी भर गया था। सेंट्रल रेलवे ने लंबी दूरी की 8 ट्रेनें कैंसल कर दीं। 5 ट्रेनों के समय बदले गए।
ड्राइवरों ने बांद्रा-वर्ली सी लिंक, वर्ली नाका, मलाड लिंक रोड और अंधेरी लिंक रोड पर जाम की बात बताई। सुबह पांच जगहों पर पेड़ गिरने की भी खबर मिली। BEST ने रेलवे स्टेशन और ऑफिस के रास्तों में फंसे लोगों को निकालने के लिए 212 स्पेशल बसें चलाईं, लेकिन इनमें 50 से ज्यादा बसें सुबह आइलैंड सिटी में फंस गईं और कुछ बसों में खराबी भी आ गई।
ऑटो और टैक्सी वालों के न कहने की वजह से हालात और भी बुरे हो गए। कुछ कैब में यात्रियों से ज्यादा किराया भी लिया गया। इनमें से एक ने तो विक्रोली से महज 10 कि.मी. दूर जाने के लिए 500 रुपए मांगे, जबकि इतनी दूरी का किराया 150 से ज्यादा नहीं होता है। 50 फीसदी से ज्यादा टैक्सी और ऑटो सड़क से गायब थे।
बीएमसी ने सुबह ही स्कूलों को पूरे दिन बंद रखने का अलर्ट जारी कर दिया था। ऐसे में जिन मुंबईवासियों को इस अलर्ट के बारे में पता था, उनको काफी सहूलियत हुई। जिन लोगों को ऑफिस के बंद होने के बारे में पता था, वो भी अपने घरों से बाहर नहीं निकले।
मुंबई एयरपोर्ट पर आने वाली फ्लाइट्स और यहां से जाने वाली फ्लाइट्स में औसतन 45 मिनट की देरी हुई। वैसे कोई फ्लाइट कैंसल तो नहीं हुई, लेकिन आने वाली तीन फ्लाइट्स को अहमदाबाद और वड़ोदरा की तरफ डायवर्ट कर दिया गया था।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को छुट्टी की घोषणा की और मुंबई यूनिवर्सिटी ने सभी सीनियर कॉलेज की ऐडमिशन की डेट्स सोमवार तक बढ़ा दीं। आइलैंड सिटी और उपनगरों में कम से कम एक दर्जन सब-स्टेशन ऐतिहात के तौर पर बंद रखे गए। शहर में पानी की आपूर्ति करने वाली सात झीलों में से केवल तुलसी और विहार झील का पानी का रेकॉर्ड स्तर तक बढ़ा। ये दोनों झीलें शहर शहर की सीमा के अंदर हैं। इसके अलावा बाकी झीलों में भारी बारिश की वजह से कोई खास फायदा नहीं हुआ।
हालांकि, मुंबईवासियों के लिए सब कुछ बुरा नहीं रहा। कई लोगों ने मरीन ड्राइव और वर्ली के समुद्र तट पर ‘शॉवर’ का मजा लिया। इसके अलावा बहुत सारे लोगों ने अगले दो दिन शनिवार और रविवार होने की वजह से अपने बढ़े हुए वीकेंड पर आराम फरमाया।