नई दिल्ली- सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने बुधवार कोराजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई संबंधी तमिलनाडु सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्र सरकार की याचिका पर फैसला सुनाया।
कोर्ट ने कहा कि तामिलनाडु सरकार केंद्र की सहमति के बिना दोषियों को रिहा नहीं कर सकती। राज्य सरकार को स्वयं ऐसे फैसले लेने का अधिकार नहीं है। उसे केंद्र की बातचीत करनी पड़ेगी,क्योंकि मामले की पड़ताल सीबीआई ने की है।
उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु सरकार ने राजीव गांधी के हत्यारों मुरुगन, संथान और आरिवु की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था और सजा में छूट देते हुए रिहा करने का आदेश दिया था।
प्रदेश सरकार के फैसले को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। केंद्र का कहना था कि जिस मामले की जांच केंद्रीय एजेंसी ने की हो या जिन पर केंद्रीय कानून लागू हो, उन्हें रिहा करने का अधिकार प्रदेश सरकारों को नहीं है।
केंद्र सरकार के चुनौती देने पर सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी के सात हत्यारों को रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी। बुधवार को जिस संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाया, उसमें चीफ जस्टिस एचएल दत्तू जस्टिस एफएमआई कलीफुल्ला, पिनाकी चंद्र घोष, अभय मनोहर सप्रे और यूयू ललित भी शामिल हैं।
पीठ ने 11 दिनों तक चली बहस में निचली अदालत के सवालों ओर मामले के तमाम संवधानिक बिंदुओं पर विचार किया। बहस में केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार पेश हुए थे। बहस में शामिल अन्य वकील राम जेठमलानी और राकेश द्विवेदी थे। उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में लिट्टे आतंकियों ने हत्या कर दी थी।