नई दिल्ली – गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने देश में अल्पसंख्यकों की रक्षा के सरकार के संकल्प को दोहराते हुए धर्मांतरण पर सवाल उठाया और धर्मांतरण विरोधी कानून की आवश्यकता पर बहस की वकालत की। उन्होंने पूछा कि क्या धर्मांतरण में शामिल हुए बिना लोगों की सेवा नहीं की जा सकती? सिंह ने कहा, ‘घर वापसी और धर्मांतरण के बारे में कभी कभी अफवाहें फैलती हैं और विवाद होते हैं। किसी भी प्रकार का धर्मांतरण होना ही क्यों चाहिए?’ माना जा रहा है कि उनका यह बयान परोक्ष रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के बयान का समर्थन करने वाला है। गौरतलब है कि पिछले दिनों मोहन भागवत ने कथित तौर पर कहा था कि मदर टेरेसा द्वारा गरीबों के लिए किए गए सेवा कार्यों का मकसद धर्म परिवर्तन भी था।
राजनाथ सिंह ने राज्य अल्पसंख्यक आयोगों के एक सम्मेलन में कहा, ‘अन्य देशों में अल्पसंख्यक समुदाय धर्मांतरण विरोधी कानून की मांग करते हैं। यहां हम केवल यह कह रहे हैं कि धर्मांतरण विरोधी कानून होना चाहिए। इस मुद्दे पर बहस होनी चाहिए। हमें धर्मांतरण विरोधी कानून लाने पर विचार करना चाहिए। मैं आप सब से विनम्र निवेदन करता हूं कि आप इस विषय पर सोचें।’गृह मंत्री ने ऐसे समय पर यह बयान दिया है, जब हिंदुत्ववादी संगठनों की धर्मांतरण विरोधी मुहिम और मदर टेरेसा के बारे में भागवत के बयान को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है।
राजनाथ सिंह ने कहा, ‘हम धर्मांतरण किए बिना लोगों की सेवा क्यों नहीं कर सकते? जो लोगों की सेवा करना चाहते हैं, उन्हें यह काम धर्मांतरण में शामिल हुए बिना करना चाहिए। क्या हम इस समस्या का समाधान नहीं खोज सकते?’ उन्होंने कहा, ‘यह मुद्दा संसद में भी उठाया गया था। कई लोगों ने कहा कि सरकार को इस बारे में कुछ करना चाहिए, लेकिन मुझे लगता है कि इस मामले में समाज की भी भूमिका है। समाज की भी जिम्मेदारी है। क्या हम एक दूसरे की आस्था का सम्मान करते हुए नहीं जी सकते? धर्मांतरण की क्या जरूरत है?’
गृह मंत्री ने कहा कि वह सभी राज्य सरकारों से अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए हर संभव और ठोस कदम उठाने का अनुरोध करते हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं पूरे देश को बताना चाहता हूं कि मैं अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए कुछ भी करूंगा। मैं इसके लिए किसी भी हद तक जाऊंगा। मैं भगवान की शपथ लेकर यह कहता हूं।’