नई दिल्ली – ऐंटी करप्शन ब्रांच में एलजी की ओर से नियुक्त जॉइंट कमिश्नर मुकेश कुमार मीणा और मुख्यमंत्री की ओर से नियुक्त एडिशनल कमिश्नर एस. एस. यादव के बीच शुरू हुई तनातनी की गूंज शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा में भी सुनाई दी। सत्ता पक्ष के विधायकों ने इसे बेहद गंभीर मामला बताते हुए मीणा को बर्खास्त करने का प्रस्ताव सदन में पास करने की मांग की , वहीं विपक्ष के विधायकों ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार अपनी सीमाओं का उल्लंघन कर रही है और जानबूझकर केंद्र सरकार के तहत काम करने वाले 2 अफसरों को लड़वा रही है। दिल्ली सरकार ने मीणा की नियुक्ति को अवैध करार देकर उसे रद्द करवाने के लिए हाई कोर्ट में नए सिरे से याचिका दाखिल करने का फैसला भी किया है।
शुक्रवार को विधानसभा में तिलक नगर से आम आदमी पार्टी के विधायक जरनैल सिंह ने नियम 127 के तहत इस मामले को चर्चा के लिए उठाया, जिसके बाद सिसौदिया ने सदन को जानकारी दी कि मीणा पर हवाला घोटाले में शामिल होने के भी आरोप हैं। इस संबंध में एक शिकायत ऐंटी करप्शन ब्रांच में दाखिल गई है और 1 मई को ही इस मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। सिसौदिया ने बताया कि सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस बारे में एक सीक्रेट नोट गृह मंत्री राजनाथ सिंह को भेजा है।
सूत्रों ने बताया, दिल्ली के लाहौरी गेट थाने में तैनात इंस्पेक्टर (एटीओ) जगमेंद्र दहिया ने इस संबंध में 29 अप्रैल को एसीबी में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद एसीबी के तत्कालीन चीफ एस. एस. यादव ने इस मामले की जांच शुरू करवा दी थी। चूंकि मीणा पर दिल्ली पुलिस के ट्रेनिंग कॉलेज में रहते हुए पर्दा घोटाले में शामिल होने के आरोप भी लगे हैं और एसीबी में इन आरोपों की भी जांच चल रही है। यही वजह है कि मीणा और यादव के बीच तकरार बढ़ता जा रहा है। मीणा ने गुरुवार को ही एसीबी में दर्ज होने वाली प्रत्येक एफआईआर की लॉग बुक पुलिस थाने में ही रखने का निर्देश यादव को दिया था।
सिसौदिया ने विधानसभा में कहा कि हाई कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा है कि एसीबी के बारे में केंद्र सरकार के अब तक के कदम बहुत तर्कहीन हैं और इसे लेकर हाई कोर्ट ने आश्चर्य भी व्यक्त किया। अब सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है, लेकिन हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने स्टे नहीं किया है। इसका मतलब यह है कि एसीबी दिल्ली सरकार के अधीन है, लेकिन उसके बावजूद एलजी और केंद्र सरकार की तरफ से एक फर्जी आदेश पारित कर मीणा को एसीबी में तैनात कर दिया गया, जबकि दिल्ली सरकार रुख स्पष्ट है कि एसीबी में जॉइंट कमिश्नर का कोई पद ही नहीं है।
‘आप’ विधायकों ने कहा कि हमारी सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों से घबराकर अब केंद्र की बीजेपी सरकार एलजी के जरिए एसीबी को कमजोर करने की कोशिश कर रही है और ऐसे अफसर को वहां बैठा दिया गया है, जो खुद आरोपों के घेरे में है। चांदनी चौक की विधायक अलका लांबा ने कहा कि मीणा जिस तरह से एस एस यादव पर दबाव बना रहे हैं, उससे यह साफ हो जाता है कि एसीबी को जबरन काम करने से रोका जा रहा है।