नई दिल्ली : बीमा (संशोधन) विधेयक को लेकर गुरुवार को राज्यसभा में विपक्ष ने जमकर हंगामा काटा। विपक्ष के हंगामे और नारेबाजी के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिल को चर्चा के लिए सदन में पेश किया। विपक्षी दल इस विधेयक के जरिए बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने का विरोध कर रहे हैं। विपक्ष ने बिल को स्टैंडिंग कमिटी में भेजने की मांग की। चर्चा के दौरान कुछ विपक्षी सदस्य ‘देश बेचना बंद करो’ ‘निजीकरण बंद करो’ के नारे लगाते रहे। हंगामे और नारेबाजी की वजह से सदन की कार्यवाही स्थगित होती रही। गुरुवार को अब तक 4 बार कार्यवाही स्थगित हुई है।
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि बीमा कानून में तीसरी बार संशोधन होने जा रहा है। बिल को स्टैंडिंग कमिटी को भेजा जाना चाहिए ताकि इसकी कमियों को दूर किया जा सके। डीएमके के टी. शिवा ने भी इसे स्टैंडिंग कमिटी में भेजे जाने की मांग की। कांग्रेस सदस्य शक्तिसिंह गोहिल ने विधेयक पर चर्चा कराने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इसके लिए सदस्यों को पर्याप्त समय नहीं मिला। लेकिन उपसभापति हरिवंश ने उनकी आपत्ति को खारिज कर दिया और कहा कि यह विधेयक सदन में 15 मार्च को ही पेश किया गया था और सदस्यों को उचित समय मिला है।
बीजेपी सदस्य भूपेंद्र यादव ने विपक्ष की मांग का विरेाध करते हुए कहा कि इस पर पहले ही स्थायी समिति सहित विभिन्न समितियों में विचार किया जा चुका है। हंगामे के दौरान ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीमा (संशोधन) विधेयक चर्चा के लिए रखा। इस दौरान कुछ सदस्य विधेयक का विरोध करते हुए आसन के नजदीक आ गए। सदन में हंगामे को देखते हुए उपसभापति हरिवंश ने दोपहर करीब ढाई बजे बैठक 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। एक बार के स्थगन के बाद बैठक शुरू होते ही कार्रवाई पहले तीन बजे तक और उसके बाद सवा 3 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
सवा 3 बजे जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो उपसभापति हरिवंश ने चर्चा के लिए कांग्रेस के आनंद शर्मा का नाम पुकारा। लेकिन नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने खड़े होकर एक बार फिर बिल का विरोध किया और इसे स्टैंडिंग कमिटी को भेजे जाने की मांग की। फिर उपसभापति ने बीजेपी सदस्य अरुण सिंह को चर्चा के लिए समय दिया। विपक्ष के ‘देश बेचना बंद करो’ के नारों के बीच सिंह ने बिल के समर्थन में अपने विचार रखने शुरू किए। उन्होंने कहा कि 256 कंपनियों को मर्ज कर एलआईसी का गठन हुआ। फिर 107 कंपनियों को मर्ज कर 4 इंश्योरेंस कंपनियां बनीं। उन्होंने बिल क्यों जरूरी है इसके बारे में अपने तर्क दिए। इस दौरान विपक्ष के कई सदस्य वेल में भी आ गए। आखिरकार साढ़े 3 बजे सदन की कार्यवाही फिर 10 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी। जब सदन की कार्यवाही फिर शुरू हुई तो कांग्रेस के आनंद शर्मा ने बिल के विरोध में अपनी बात रखनी शुरू की। उन्होंने वित्त मंत्री से बिल को वापस लेने की मांग की।