कांग्रेस पार्टी भी समझ रही है कि इस भूमिपूजन से भारतीय जनता पार्टी को बहुत बड़ा राजनीतिक लाभ मिलने जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस भी इस भूमिपूजन में जनता के सामने खुद को सबसे बड़ा रामभक्त बताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। अब इस मुद्दे पर जनता का ध्यान आकर्षित करने के लिए कांग्रेस को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की याद आने लगी।
नई दिल्लीः राम मंदिर का भव्य भूमिपूजन आज अयोध्या में होने जा रहा है। अयोध्या नगरी पूरी तरह से रोशनी से जगमगा रही है। लेकिन इस पवित्र आयोजन के बीच अब राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है। कभी राम मंदिर आंदोलन का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से विरोध करने वाले नेता भी अब पक्के राम भक्त बनते नजर आ रहे हैं। अयोध्या में श्रीराम मंदिर भूमिपूजन के पहले कांग्रेस भी राम के रंग में रंग गई है।
कांग्रेस पार्टी भी समझ रही है कि इस भूमिपूजन से भारतीय जनता पार्टी को बहुत बड़ा राजनीतिक लाभ मिलने जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस भी इस भूमिपूजन में जनता के सामने खुद को सबसे बड़ा रामभक्त बताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। अब इस मुद्दे पर जनता का ध्यान आकर्षित करने के लिए कांग्रेस को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की याद आने लगी। हालांकि राजीव गांधी के अलावा कांग्रेस के पास ऐसा कोई नेता भी नहीं हैं जिसके सहारे कांग्रेस इस मुद्दे पर राजनीति कर सके।
बता दें कि 1986 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री बीर बहादुर सिंह को मनाया और राम जन्मभूमि मंदिर के ताले खुलवाए। और फिर लोगों को भगवान श्रीराम के दर्शन का अवसर मिला। 1985 में दूरदर्शन ने राजीव गांधी के कहने पर रामानंद सागर के रामायण का प्रसारण किया। चेन्नई में अपनी आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब राजीव गांधी से राम मंदिर पर सवाल पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि इस पर आम राय बनाने की कोशिशें जारी हैं। अयोध्या में ही राम जन्मभूमि मंदिर बनेगा।
अब इस पवित्र भूमिपूजन के अवसर पर राजीव गांधी द्वारा 1986 में उठाए गए कदम कांग्रेस को संजीवनी बूटी के समान लग रहा है। कांग्रेस इस मौके पर इसे बखूबी भुना रही है।
कांग्रेस महासचीव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मंगलवार को कहा कि भगवान राम सब में हैं और सबके हैं। ऐसे में पांच अगस्त को अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए होने जा रहा भूमि पूजन राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का कार्यक्रम बनना चाहिए।
कमलनाथ ने किया हनुमान चालीसा का पाठ, भेजी 11 ईंटें
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सूरजेवाला ने कहा, मैं भूमिपूजन से 24 घंटे पहले कोई राजनीतिक टिप्पणी करने से परहेज करूंगा, लेकिन इतना कहूंगा कि राजनीति का धर्म होना चाहिए, धर्म की राजनीति नहीं, यही राम की मर्यादा है। वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री जतिन प्रसाद ने कहा, हर हिंदू के लिए और व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए यह आस्था की बात है। मुझे खुशी है कि राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। दूसरी ओर, एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ ने भोपाल में निवास पर हनुमान चालीसा का पाठ किया और कहा, हम 11 चांदी की ईंटें अयोध्या भेज रहे हैं। कल वह एतिहासिक दिन है, जिसका पूरा देश इंतजार कर रहा था।
क्या धर्म और भगवान सिर्फ भाजपा के?
कमलनाथ ने कहा, भारत की संस्कृति सभी को जोड़ने वाली है। यहां विभिन्न भाषाएं, विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं। यह हमारी पहचान है। हम जब भी कुछ करते हैं, भाजपा के पेट में पता नहीं क्यों दर्द शुरू हो जाता है। क्या धर्म और भगवान पर उनका पेटेंट है, उनका ठेका है, उन्होंने धर्म की एजेंसी ली हुई है क्या? कमलनाथ ने कहा कि मैंने छिंदवाड़ा में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की। हमने अपनी सरकार में गौशालाएं बनवाईं, राम वन गमन पथ के निर्माण की बाधाएं दूर कीं, महाकाल और ओंकारेश्वर मंदिर के विकास की योजना बनाई है।
तुष्टिकरण के आरोपों से पीछा छुड़ाने की कोशिश
कांग्रेस लंबे समय से अपने ऊपर लगने वाले मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोपों से पीछा छुड़ाने के प्रयास में है। इसी क्रम में पार्टी खुलकर हिंदू हित की बात करना चाहती है और उसे धार्मिकता दिखाने से परहेज नहीं है। दरअसल, 2014 के लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा के लिए बनी एके एंटनी कमेटी की रिपोर्ट के बाद कांग्रेस ने खुद को बदलने का काम शुरू किया था। कमेटी ने कहा था कि हार का सबसे बड़ा कारण कांग्रेस का हिंदू मतदाताओं से दूर जाना है। इसके बाद गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी पार्टी के प्रचार अभियान में हिंदुत्व की धार दी गई। अब राम मंदिर के बहाने पार्टी इस अभियान को और गति देना चाहती है।
दिग्विजय सिंह ने कहा-राजीव गांधी चाहते थे कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बने
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शनिवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी चाहते थे कि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बने और ‘रामलला’ वहां विराजें। दिग्विजय सिंह ने ट्वीट के जरिए यह बात कही है। दिग्विजय ने यह बात अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमि पूजन से ठीक पहले कही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने लिखा है ‘हमारी आस्था के केंद्र भगवान राम ही हैं! और आज समूचा देश भी राम भरोसे ही चल रहा है। इसीलिए हम सबकी आकांक्षा है कि जल्द से जल्द एक भव्य मंदिर अयोध्या राम जन्म भूमि पर बने और राम लला वहां विराजें। स्व. राजीव गांधी जी भी यही चाहते थे।’
पीवी नरसिम्हा राव के बाद राम को भूली कांग्रेस…
राजीव गांधी के बाद पीवी नरसिम्हा राव ने भी राम जन्मभूमि मंदिर बनाने के लिए तमाम कोशिशें जारी रखीं। केंद्र में उनकी ही सरकार थी, जब 6 दिसंबर, 1992 में बाबरी मस्जिद गिरा दी गई।
हालांकि, इसके एक महीने के बाद यानी जनवरी 1993 में राव सरकार विवादित जमीन के अधिग्रहण के लिए एक अध्यादेश लेकर आई थी। इस अध्यादेश को 7 जनवरी 1993 को उस समय के राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा की तरफ से मंजूरी मिल गई थी।
राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद तत्कालीन गृहमंत्री एसबी चव्हाण ने इस बिल को मंजूरी के लिए लोकसभा में रखा। पास होने के बाद इसे अयोध्या एक्ट के नाम से जाना गया। नरसिम्हा राव सरकार ने 2.77 एकड़ विवादित जमीन के साथ चारों तरफ 60.70 एकड़ जमीन को कब्जे में लिया। उस समय योजना अयोध्या में राम मंदिर, एक मस्जिद, लाइब्रेरी, म्यूजियम और अन्य सुविधाओं के निर्माण की थी।
राव सरकार के जाने के बाद वोट बैंक की राजनीति के दबाव में आकर कांग्रेस ने राम मंदिर के मुद्दे पर चर्चा करना ही छोड़ दिया। लेकिन भाजपा अपनी मेहनत को व्यर्थ जाने देना नहीं चाहती थी और इसलिए इस मुद्दे को जीवित रखने के लिए समय-समय पर आंदोलन करती रही। कांग्रेस धीरे-धीरे राम, रामायण और रामराज्य के अस्तित्व पर ही सवाल उठाने लगी।
2009 में यूपीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामे में भगवान श्रीराम के होने पर ही सवाल उठा दिए। लाखों हिंदुओं की भावनाओं को इससे धक्का लगा। कांग्रेस को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ा।
इसके बाद तो जैसे कांग्रेस नेताओं ने राम मंदिर के मसले पर बोलना ही बंद कर दिया। जो भी राम का नाम लेता, उसे कांग्रेस नेता संघी, सांप्रदायिक और आरएसएस का एजेंट कहने लगे और इसके कारण 1989 में उत्तरप्रदेश में कांग्रेस को हार मिली और उसके बाद वह हारती चली गई।
प्रियंका ने कहा- जय सियाराम, मनीष तिवारी ने गाई रामधुन…
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बयान जारी कर कहा कि भगवान राम की कृपा से हो रहा यह कार्यक्रम उनके संदेश को प्रसारित करने वाला राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का कार्यक्रम बने। वहीं, सांसद मनीष तिवारी ने देशवासियों को भूमिपूजन की बधाई दी है। उन्होंने एक वीडियो भी जारी किया जिसमें वह रघुपति राघव राजाराम गा रहे हैं।
प्रियंका ने कहा, भगवान राम, माता सीता और रामायण की गाथा हजारों वर्षों से हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक स्मृतियों में प्रकाशपुंज की तरह आलोकित है। राम सबरी के हैं, सुग्रीव के भी। राम बाल्मीकि के हैं और भास के भी। राम कबीर के हैं, तुलसीदास के हैं, रैदास के हैं। सबके दाता राम हैं।
गांधी के रघुपति राघव राजा राम सबको सन्मति देने वाले हैं। वारिस अली शाह कहते हैं जो रब है वही राम है। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त राम को ‘निर्बल का बल’ कहते हैं। तो महाप्राण निराला ‘वह एक और मन रहा राम का जो न थका’ से भगवान राम को ‘शक्ति की मौलिक कल्पना’ कहते हैं। राम साहस हैं, संगम हैं, संयम हैं, सहयोगी हैं। राम सबके हैं। भगवान राम सबका कल्याण चाहते हैं। इसीलिए वे मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।