अयोध्या : प्रयागराज में चल रहे कुंभ के बीच अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा सुर्खियों में है। द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती 17 फरवरी को प्रयाग से अयोध्या कूच करेंगे।
शंकराचार्य के साथ अन्य संत प्रतापगढ़ और सुलतानपुर के रास्ते होते हुए 19 फरवरी को अयोध्या पहुंचेंगे। इसके बाद 20 फरवरी को विराट सभा का आयोजन किया जाएगा और 21 फरवरी को राम मंदिर का शिलान्यास कार्य होगा।
बता दें कि हाल ही में शंकराचार्य ने कहा था कि राम मंदिर निर्माण के लिए वह अयोध्या के शिलान्यास के कार्यक्रम को किसी हालत में नहीं टालेंगे। जरूरत पड़ने पर जेल जाने को भी तैयार रहेंगे।
शंकराचार्य स्वरूपानंद ने सभी रामभक्तों से एक-एक पत्थर के साथ अयोध्या में प्रस्तावित शिलान्यास कार्यक्रम में पहुंचने की अपील की है।
शंकराचार्य का दावा है कि उन्हें अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और रामानंद संप्रदाय के संतों का भी समर्थन प्राप्त है और वे उनके साथ अयोध्या कूच करेंगे।
‘ राम मंदिर के लिए हम इंतजार ही करते रह जाएंगे’
शंकराचार्य ने बताया कि इस यात्रा को राम आग्रह के लिए अयोध्या प्रस्थान नाम दिया गया है। यह सत्याग्रह की तर्ज पर ही होगी।
संत अयोध्या में सिर्फ भूमि और शिला पूजन नहीं बल्कि राम मंदिर बनाने का संदेश देने के लिए भी जा रहे हैं क्योंकि अब इसमें कोई कठिनाई नहीं है।
शंकराचार्य ने लोकसभा चुनाव के समय इस मुद्दे को लेकर आंदोलन करने पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि चुनाव तो लगातार होते ही रहते हैं ऐसे में क्या हम इंतजार ही करते रह जाएंगे।
‘अविवादित भूमि पर मंदिर बनाने से मुख्य स्थान पर दावा होगा कमजोर’
स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि हाई कोर्ट पहले ही मान चुकी है कि विवादित भूमि पर मंदिर था। उन्होंने दावा किया कि वह लंबे समय से राम मंदिर की लड़ाई लड़ते आ रहे हैं।
अदालत में भी उनके वकील इस मामले में अपना पक्ष रखते रहे हैं इसलिए यह कहना गलत होगा कि वह इस लड़ाई के लिए नए हैं। रामालय ट्रस्ट से भी वह जुड़े हैं।
केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए शंकराचार्य ने कहा, ‘अविवादित भूमि पर मंदिर बनाने की साजिश की जा रही है। यदि ऐसा हो गया तो मुख्य भूमि से हमारा दावा बहुत कमजोर हो जाएगा।’
‘अब हिंदू वह हिंदू नहीं जो सबकुछ सहता रहे’
शंकराचार्य के समर्थन में पहुंचे जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी राम नरेश आचार्य ने कहा, ‘अब हिंदू वह हिंदू नहीं है कि सबकुछ सहता रहे। अब वह अपना हक लेना भी जानता है।’
अयोध्या में भगवान राम की प्रतिमा बनाए जाने पर भी उन्होंने कटाक्ष किया और कहा कि अयोध्या में एक हजार राम मंदिर हैं ऐसे में एक पुतला खड़ा करने की क्या जरूरत है, जिसकी न तो प्राण प्रतिष्ठा हो और न ही उसकी पूजा की जा सके।