मुंबई- बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपनी 17 साल की गोद ली हुई बेटी के साथ रेप करने के आरोपी पिता को जमानत दे दी है। कोर्ट का मानना है कि पीड़ित लड़की पहले से ‘गंदी बातें’ किया करती थी इसलिए उसके बयान को विश्वसनीय नहीं माना जा सकता है।
दो हफ्ते पहले दिए गए अपने आदेश में जस्टिस साधना जाधव ने 52 वर्षीय अंधेरी निवासी आरोपी को 15,000 रुपये की जमानत पर इस शर्त के साथ रिहा कर दिया कि वह पीड़िता के साथ कोई संपर्क नहीं रखेगा। आरोपी अक्टूबर 2015 से पिछले 15 महीने से जेल में था। कोर्ट ने अपने आदेश में पीड़िता की पृष्ठभूमि के बारे में कहा है, ‘सरकारी वकील को अपने हस्तलिखित बयान में पीड़िता ने यह स्वीकार किया है कि वह पहले से ‘गंदी बातों’ में शामिल थी। ऐसा लगता है कि वह स्वाभाविक तौर पर असामान्य है और शायद उसकी मर चुकी मां की हरकतों और अपने आसपास के परिवेश के कारण बचपन से ही उसमें यौन प्रवृत्ति थी।’
पीड़िता के बयान में उस संस्था की महिला सुपरवाइजर का भी जिक्र है जहां साल 2006 में आपनी मां के मौत के बाद वह रह रही थी। संस्था की महिला सुपरवाइजर ने भी लड़की के ‘असामान्य व्यवहार’ की बात कही थी और उसके साथ रहने वाली अन्य लड़कियों ने भी उसकी शिकायत की थी। आरोपी की जमानत के लिए दिए गए प्रार्थना पत्र में इस सुपरवाइजर के बयान भी शामिल किए गए हैं। पीड़िता के इस बयान से सुपरवाइजर भी हैरान है कि उसके लिए सेक्शुअल ऐक्ट कोई नया काम नहीं था।
आरोपी के वकील ने कोर्ट को पीड़िता के पूरे इतिहास के बारे में जानकारी दी और यह तर्क भी दिया कि मामले की शिकायत दर्ज किए जाने में काफी देर की गई। जमानत के प्रार्थना पत्र में बताया गया है कि आरोपी और उसकी पत्नी ने पीड़िता को तब गोद लिया था जब वह पांचवी कक्षा में पढ़ती थी। पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया कि जब वह सातवीं कक्षा में पढ़ती थी तब अकेले में उसका पिता उसके साथ छेड़छाड़ करता था। इसके बाद, जब पीड़िता जब दसवीं कक्षा में थी तब आरोपी ने उसके ब्रेस्ट को छूना शुरू कर दिया था लेकिन इसकी शिकायत तब की गई की जब वह 12वीं कक्षा में पहुंच गई थी।
इस ऐप्लिकेशन में यह भी बताया गया है कि जब पहली बार एफआईआर दर्ज कराई गई थी तब पीड़िता ने केवल छेड़छाड़ की शिकायत की थी। हालांकि, उस समय भी उसकी मेडिकल रिपोर्ट से पता चलता है कि उस समय भी वर्जिन नहीं थी। बाद में, एक और बयान में पीड़िता ने अपने पिता पर रेप का आरोप लगाया था। पहले निचली अदालत ने आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसके वकील ने यह तर्क दिया था कि पीड़िता को गोद लेने वाले माता-पिता ने डांट लगाई थी जब उन्हें पता चला था कि वह एक डिलिवरी बॉय के साथ सेक्स कर रही थी। हाई कोर्ट ने कहा, ‘पीड़िता ने कभी भी संरक्षण गृह की सुपरवाइजर को अपने पिता की हरकतों के बारे नहीं बताया और काफी वक्त गुजर जाने के बाद उसने इसकी शिकायत की। इसके साथ ही, पीड़िता के जिस बयान के आधार पर मामला दर्ज किया गया है वह सच नहीं लगता।’ [एजेंसी]