नई दिल्ली- साइरस मिस्त्री को पिछले दिनों अचानक टाटा समूह के चेयरमैन पद से हटाने वाले रतन टाटा भी टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन का पद छोड़ सकते हैं। ट्रस्ट ने बाहरी कंसल्टेंट से नए चेयरमैन के चुनाव को लेकर सलाह मांगी है। इस ट्रस्ट की 108 अरब डॉलर (तकरीबन 7,327 अरब रुपये) की पूंजी वाले टाटा समूह में 66 फीसदी की हिस्सेदारी है।
अंग्रेजी अखबार ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ की खबर के अनुसार, अगले साल के बीच तक टाटा समूह के नए चेयरमैन की तलाश पूरी कर ली जाएगी। रतन टाटा के करीबी आरके कृष्ण कुमार के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बार ट्रस्ट का नया चेयरमैन भारतीय ही होगा।
मिली जानकारी के अनुसार टाटा ट्रस्ट का समूह की लिस्टेड कंपनियों में 41 अरब डॉलर का निवेश है। पद छोड़ने के बाद भी रतन टाटा एक अहम सदस्य बने रहेंगे। टाटा ट्रस्ट्स से इस्तीफे से उन सवालों पर भी लगाम लग जाएगी, जिनमें कहा जा रहा था कि रतन टाटा ने टाटा संस के नेतृत्व को छोड़कर भी पीछे से कमान संभाल रखी थी।
वाडिया ने रतन टाटा के खिलाफ किया 3000 करोड़ केस टाटा समूह की कुछ कंपनियों में एक स्वतंत्र निदेशक एवं उद्योगपति नुस्ली वाडिया ने रतन टाटा, टाटा सन्स और उनके निदेशकों के खिलाफ 3000 करोड़ रुपये की मानहानि का मामला दर्ज कराया है। वाडिया के नजदीकी सूत्रों ने बताया कि यह मामला आज बॉम्बे हाई कोर्ट में दर्ज कराया गया है।
टाटा सन्स ने टाटा मोटर्स, टाटा स्टील और टाटा केमिकल्स समेत टाटा समूह की फर्मों में स्वतंत्र निदेशक वाडिया पर अपने हित साधने का आरोप लगाते हुए उन्हें निदेशक मंडल से हटाने के लिए प्रस्ताव पेश किया था जिस पर कंपनियों के संबंधित शेयरधारकों को मतदान करना है। इससे पहले भी वाडिया ने टाटा सन्स बोर्ड को मानहानि नोटिस देकर कहा था कि वह उनके खिलाफ लगाए गए ‘झूठे अपमानसूचक और अपमानजनक’ आरोप वापस लें। [एजेंसी]