भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र में छाई मंदी पर बयान दिया है।
राजन ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि रियल एस्टेस क्षेत्र में आर्थिक सुस्ती के कारण सेक्टर पर काफी दबाव है। इसलिए अगर जल्द से जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो इसका अंजाम अच्छा नहीं होगा और देश को भुगतना पड़ेगा।
साथ ही उन्होंने कहा कि देश मंदी के दौर से गुजर रहा है। अर्थव्यवस्था में सुस्ती के संकेत का कारण अर्थव्यवस्था का संचालन प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से होना है। उनका कहना है कि मंत्रियों के पास कोई शक्ति नहीं है।
उन्होंने कहा कि इसके लिए पूंजी लाने के नियमों को उदार बनाने की जरूरत है। इसके अतिरिक्त राजन ने भूमि और श्रम बाजारों में सुधार व निवेश एवं ग्रोथ को बढ़ावा देने का भी आह्वान किया।
राजन ने कहा कि सुधारों के लिए फैसले के साथ-साथ विचार और योजना पर निर्णय भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुछ नजदीकी लोग और पीएमओ के लोग ही लेते हैं, जो आर्थिक सुधारों के मामलों में काम नहीं करते हैं।
रियल एस्टेट के साथ-साथ उन्होंने कहा कि कंस्ट्रक्शन और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर भी समस्या से जूझ रहा है। इन तीनों सेक्टर को सबसे ज्यादा कर्ज नॉन बैंकिंग फाइनैंशल कंपनी (NBFC) से प्राप्त हुआ है। एनबीएफसी कर्ज बांटने की हालत में नहीं रह गई हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बैड लोन का आकार अब बढ़ गया है।
इंडिया टुडे मैगजीन को दिए अपने लेख में उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों पर काफी आर्थिक दबाव है। भारत की विकास दर घटती जा रही है।
वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में यह 4.5 फीसदी पर पहुंच गई थी, जो पिछले छह सालों में सबसे कम है। आगे उन्होंने कहा कि भारत में बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या है।
भारत में 47 अरब डॉलर यानी करीब 3.3 लाख करोड़ रुपये के प्रॉजेक्ट फंसे हुए हैं। साथ ही 4.65 लाख यूनिट घर निर्माण की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। इन सभी प्रॉजेक्ट को पूरा करने में दो से आठ सालों का वक्त लग सकता है।
आगे उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य साल 2024 तक 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का है।
राजन के मुताबिक, इसके लिए हर साल आठ से नौ फीसदी की वृद्धि अनिवार्य है, जो बेहद मुश्किल है।