नई दिल्ली- रिजर्व बैंक गवर्नर ऊर्जित पटेल ने अपनी पहली क्रेडिट पॉलिसी में आम जनता को तोहफा दे दिया है। रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दरों की समीक्षा में ब्याज दर में कटौती कर दी है। रेपो रेट में .25 फीसदी की कटौती कर दी है। इसके बाद रेपो रेट 6.50 से घटकर 6.25 रह गया है।
आरबीआई की यह पहली ऐसी नीति है जिसमें मौद्रिक नीति कमेटी ने दर तय की है। इससे पहले ऐसे फैसले पूरी तरह से आरबीआई गवर्नर पर निर्भर होते हैं। मौद्रिक नीति समिति के सभी छह सदस्यों ने नीतिगत ब्याज दर में कटौती के पक्ष में मत दिये।
आरबीआई का कहना है कि खुदरा मुद्रास्फीति मार्च 2017 तक 5.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है, इसके इससे ऊंचे रहने का भी जोखिम बना हुआ है। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिये जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को 7.6 प्रतिशत पर बरकरार रखा।
पैनल में डॉ. पटेल के अलावा रिजर्व बैंक के दो अधिकारियों और सरकार द्वारा नामित तीन शिक्षाशास्त्री शामिल हैं। कमेटी में आरबीआई गवर्नर (वर्तमान में ऊर्जित पटेल), डिप्टी गवर्नर और मौद्रिक नीति के इंचार्ज आर. गांधी, केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित बैंक के अफसर माइकल पात्रा के अलावा सरकार द्वारा नियुक्त इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर चेतन घाटे, दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स की निदेशक प्रो. पामी दुआ और आईआर्इएम अहमदाबाद के प्रोफेसर डॉ. रविंद्र एच ढोलकिया शामिल हैं।
आरबीआई की तरफ से ब्याज दरों में कटौती का इंतजार बाजार के लिए खत्म हो गया है। अब देखना होगा की बाजार के स्तर में कितना बदलाव होगा।
अगस्त में 4 फीसदी महंगाई दर का लक्ष्य रखा था
सरकार ने अगस्त में रिजर्व बैंक के साथ मौद्रिक नीति मसौदा समझौते के तहत अगले पांच साल के लिये दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत महंगाई दर का लक्ष्य रखा था। ऊर्जित पटेल ही हैं, जिन्होंने रिजर्व बैंक के लिए मुद्रास्फीति पर जोर देने की बातों पर बल दिया। उस समय वह पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के डिप्टी थे।