नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और एनपीआर को लेकर इस समय देशभर में सियासत गर्माई हुई है। देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। इस बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की तरफ से एनपीआर को लेकर दिए गए एक ताजा आदेश से हड़कंप मच गया और लोग आनन-फानन में बैंक से अपने रुपए निकालने के लिए दौड़ पड़े। दरअसल आरबीआई ने हाल ही में एक फैसला लिया कि बैंक में खाता खोलने के लिए केवाईसी वैरिफिकेशन के तहत एनपीआर लैटर को एक वैध दस्तावेज के तौर पर शामिल किया जाए, जिसे लेकर लोगों में हड़कंप मच गया।
मामला तमिलनाडु के थुथुकुडी इलाके के पास के कायलपट्टिनम गांव का है। गांव में स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की स्थानीय ब्रांच ने आरबीआई के इस फैसले का पालन करते हुए एक विज्ञापन निकाला, जिसमें बताया गया कि खाता खोलते समय केवाईसी वैरिफिकेशन के लिए एनपीआर लैटर को भी एक वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाएगा। इस विज्ञापन के जारी होने के तुरंत बाद गांव में हड़कंप मच गया और सैकड़ों की संख्या में लोग बैंक की शाखा पहुंचकर अपने रुपए निकालने लगे। रुपए निकालने वालों में बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल थे।
बैंक में अपने खाते से करीब 50 हजार रुपए निकालने वाली एक महिला सरकारी कर्मचारी ने बताया, ‘इस शाखा के लगभग सभी ग्राहक घबराए हुए हैं। हमें नोटबंदी के उस दौर का अनुभव है, जिसमें हमें अपने ही पैसे निकालने के लिए कई दिनों तक बैंकों के बाहर लाइन में लगने को मजबूर होना पड़ा था, इसीलिए इतने सारे लोग घबराकर बैंक में अपने खाते से पैसे निकालने पहुंचे हैं। बैंक के अधिकारी भी लोगों को इस बारे में पुख्ता तौर पर कुछ नहीं बता पा रहे हैं कि ज्यादातर राज्यों में एनपीआर अपडेट होने से पहले ही आरबीआई ने इसे केवाईसी की लिस्ट में शामिल क्यों किया है।
वहीं, बैंक के एक अधिकारी ने इस मामले पर बात करते हुए कहा, ‘इसी तरह की रिपोर्ट्स कई जगहों पर बैंक शाखाओं से आ रही है। पिछले तीन दिनों के भीतर बैंक से बड़ी संख्या में कैश निकाला गया है, इसलिए हमने अपनी शाखा के ग्राहकों को समझाने के लिए कायलपट्टिनम गांव के सामुदायिक नेताओं और जमात कमेटियों से संपर्क किया है। अब हमें यह भी नहीं मालूम कि हम अपनी बैंक शाखा के सभी ग्राहकों को समझाकर वापस ला पाएंगे। सोमवार शाम तक ग्राहकों ने बैंक से एक करोड़ रुपए से भी ज्यादा की निकासी की है। इसके बाद मंगलवार को उस वक्त हालात सामान्य हो पाए, जब समुदाय के नेताओं ने लोगों के बीच जाकर उन्हें समझाया।’
बैंक अधिकारी ने अपनी मजबूरी बताते हुए कहा, ‘ग्राहक हमारी कोई बात नहीं सुन रहे थे। लोगों के बीच इतनी ज्यादा घबराहट थी कि समुदाय के नेताओं को भी उन्हें समझाने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी। हमारे ज्यादातर ग्राहकों में मुस्लिम समुदाय के लोग थे और अब उनमें से बड़ी संख्या में लोग लगभग अपना पूरा पैसा निकाल चुके हैं।’ हालांकि, अभी तक कई बैंकों ने केवाईसी के वैध दस्तावेजों की लिस्ट में एनपीआर लैटर को शामिल नहीं किया है। बैंक ऑफ बड़ौदा के एक सीनियर ऑफिसर ने बताया कि उन्होंने एनपीआर लैटर को केवाईसी दस्तावेजों की सूची में शामिल नहीं किया है, क्योंकि जो अभी मौजूद ही नहीं है, उसे लिस्ट में शामिल करने का कोई मतलब नहीं है।
दूसरी तरफ, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के असिस्टेंट जनरल मैनेजर आरएल नायक ने इस मामले पर कहा, ‘कायलपट्टिनम गांव में जो हुआ, वो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। लोगों को समझने में भूल हुई होगी, अगर किसी के पास आधार कार्ड है तो केवाईसी वैरिफिकेशन के लिए वही काफी है। इसी तरह अगर किसी के पास पैन कार्ड तो हम उससे एड्रेस प्रूफ के तौर पर दूसरा दस्तावेज मांगते हैं। सामान्य तौर पर जिन ग्राहकों के पास आधार कार्ड नहीं होता, हम उनसे केवाईसी के लिए दो दस्तावेज लेते हैं। आमतौर पर केवाईसी वैरिफिकेशन के लिए जरूरी दस्तावेजों की संख्या आधा दर्जन है, जिनमें पैन कार्ड, पासपोर्ट, वोटर कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम कार्ड और आधार कार्ड शामिल हैं। आरबीआई द्वारा हाल ही में एनपीआर लैटर को केवाईसी की लिस्ट में शामिल करने के बाद, हमें इसे अपने विज्ञापन में जोड़ना पड़ा क्योंकि अगर कोई ग्राहक एनपीआर लैटर के साथ आता है तो हम उसे वापस नहीं भेज सकते।’