रिजर्व बैंक ने डेबिट कार्ड से लेनदेन पर शुल्क को तर्कसंगत बनाने का फैसला किया है। देश के केंद्रीय बैंक ने कहा कि इससे डिजिटल पेमेंट को और प्रोत्साहन मिल सकेगा। मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा के फैसलों का ऐलान करते हुए रिजर्व बैंक ने बताया कि हाल के महीनों में डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन में बड़ी उछाल आई है। इसे और बढ़ावा देने के लिए ट्रांजैक्शन पर लगने वाले चार्ज को कम या खत्म करने पर विचार किया जाएगा।
मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) वह कमिशन होता है जो प्रत्येक कार्ड ट्रांजैक्शन सेवा के लिए दुकानदार को बैंक को देना पड़ता है। पॉइंट ऑफ सेल मशीन बैंक के द्वारा लगाई जाती है। 2012 से भारतीय रिजर्व बैंक ने 2,000 रुपये के डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन पर 0.75% MDR तय कर रखा है, जबकि 2,000 से ऊपर के ट्रांजैक्शन पर 1% MDR लिया जाता है।
गौरतलब है कि बैंक द्वारा MDR के तौर पर कमाई गई राशि में से कार्ड जारी करने वाले बैंक और कुछ हिस्सा पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स जैसे वीजा, मास्टरकार्ड या NPCI को दिया जाता है। इस चार्ज के कारण ही दुकानदार कार्ड से पेमेंट पर हिचकते हैं
गौरतलब है कि कार्ड ट्रांजैक्शन पर लग रहे चार्ज को डिजिटिल पेमेंट की राह में बाधक बताया जा रहा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि लोग अपनी जेबें ढीली कर कैशलेस पेमेंट पर सरकार का साथ नहीं दे पाएंगे।
दरअसल केंद्र सरकार ने नोटबंदी के बाद नकदी लेनदेन को घटाकर कैशलेस पेमेंट को बढ़ावा देने की दिशा में कई कदम उठाए। सरकार ने डिजिटल पेमेंट के लिए यूपीआई आधारित भीम ऐप लॉन्च किया तो कार्ड ट्रांजैक्शन के लिए पॉइंट ऑफ सेल्स (पीओएस) मशीनों की तादाद बढ़ा दी।
बहरहाल, रिजर्व बैंक ने नई मौद्रिक नीति के तहत मुख्य ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया। केंद्रीय बैंक ने रीपो रेट 6 प्रतिशत बरकरार रखने के साथ-साथ मौजूदा वित्त वर्ष का अनुमानित जीडीपी ग्रोथ रेट भी 6.7 प्रतिशत पर कायम रखा।