स्पेशल रीपोर्ट – ” संजय चौबे “
खंडवा [ TNN ] मध्य प्रदेश के मिर्च उत्पादक इलाके निमाड़ में इस साल लाल मिर्च की फसल बेहतर स्थिति में है। पिछले 13.14 दिन से बारिश न होने की वजह से लाल मिर्च की फसल में बिगाड़ की आशंका व्यक्त की जा रही थी लेकिन अब फिर से मानसून के मेहरबान होने से इस साल यहां इसका उत्?पादन बढऩे की उम्मीद जगी है। निमाड़ इलाके में सोयाबीन की जगह अब कपास और लाल मिर्च की बोआई हर साल बढ़ती जा रही है। इस साल लाल मिर्च का बोआई क्षेत्र 20 फीसदी बढ़ा है। निमाड़ में इस साल 90 लाख से एक करोड़ बोरी लाल मिर्च पैदा होने की संभावना जताई जा रही है जो पिछले साल लगातार भारी बारिश से घटकर 65.67 लाख बोरी ;एक बोरी 35 किलोग्रामद्ध रह गया था। पिछले सीजन यहां लाल मिर्च उत्पादन का पूर्वानुमान 75.77 लाख बोरी आंका गया था।
गैर.सिंचित क्षेत्रों में ताजा बारिश से लाल मिर्च का उत्पादन बढऩे की संभावना जरुर बढ़ी है लेकिन अभी भी यह सभी क्षेत्रों में खुलकर नहीं हुई है जिसकी वजह से कुछ किसान लाल मिर्च का उत्पादन 20 फीसदी घटने की आशंका से भी इनकार नहीं कर रहे। धामनोद एवं बड़वानी में बारिश पिछले कई दिनों से नहीं हुई है जिसकी वजह से यहां मिर्च का उत्पादन गिर सकता है। निमाड़ में सिंचित क्षेत्रों में लाल मिर्च की रोपाई मई महीने में हो जाती है लेकिन गैर.सिंचित क्षेत्रों में बारिश देर से होने एवं कम होने की वजह से रोपाई तकरीबन 20 दिन देर से हो पाई। यानी यह रोपाई 5 जुलाई के बाद हुई है। नई लाल मिर्च फसल के अक्टूवर महीने के दूसरे हफ्ते आने की संभावना है।
निमाड़ के खंडवाए बेडियाए धामनोदए कुछीए मनावरए खरगौन और सनावद इलाके में मिर्च का उत्?पादन होता है। यहां मिर्च की बोआई मई महीने में भी होती है जबकिए सर्वाधिक बोआई मानसून के समय ही होती है क्?योंकि इस इलाके की फसल बारिश पर निर्भर है। बारिश में बोई गई फसल का उत्पादन ही बाजार के समीकरण तय करता है। निमाड़ में 60.70 फीसदी किसानों के पास सिंचाई साधन है जबकि 30.40 फीसदी किसान पूरी तरह बारिश पर निर्भर हैं। किसानों का कहना है कि बारिश होने से मिर्च के पौधे का विकास तेजी से होता है एवं फ्लावरिंग जल्दी होती है।
निमाड में 12 नंबर, 2070 नंबर और झंकार लाल मिर्च 70 फीसदी जबकि गणेश एवं जलवा 30 फीसदी होगा। 12 नंबर, 2070 नंबर और झंकार लाल मिर्च आंध्र प्रदेश की तेजा मिर्च के समान मानी जाती है। जबकि, गणेश एवं जलवा जीटी जैसी होती है। मध्य प्रदेश की सालाना खपत 20 लाख बोरी है जबकि यहां आंध्र प्रदेश की मिर्च के भी खूब ग्राहक हैं। यही वजह है कि यहां के कारोबारी आंध्र प्रदेश की लाल मिर्च नियमित रुप से मंगाते हैं। मध्य प्रदेश की लाल मिर्च दिल्ली , राजस्थान , बिहार में भी बिकने जाती है लेकिन सर्वाधिक कारोबार नागपुर में होता है।
निमाड़ के सिंचित इलाकों में मिर्च के पौधे का साइज इस समय डेढ़ फीट से ज्?यादा है और फ्लावरिंग शुरु हो गई है जबकि बारिश पर निर्भर फसल में पौधे का साइज 10-11 इंच है। निमाड़ में मिर्च की फसल 90 दिन में तैयार होती है एवं इसमें किसान छह से सात तुड़ाई (पेकिंग ) तक लेते हैं। निमाड़ में मिर्च के पौधे तैयार करने से लेकर तुड़ाई तक प्रति एकड़ लागत 22000-25000 रुपए आती है। मिर्च का बीज 3500 रुपए में 10 ग्राम मिलता है जो एक एकड़ के लिए पर्याप्त है लेकिन किसान 15-17 ग्राम बीज एक एकड़ में डालते हैं। यहां एक किलोग्राम मिर्च सूखने पर 200 ग्राम रह जाती है। निमाड़ में मिर्च को धूप में सूखाया जाता है एवं इसका छिलका पतला होता है जिससे इसका रंग लंबे समय में टिक नहीं पाता। दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश में लाल मिर्च तेज गर्मी की वजह से पौधों पर ही सूखती है एवं छिलका मोटा होता है जिससे कोल्ड स्टॉरेज में रखने के बावजूद इसका रंग लंबे समय तक अच्छा बना रहता है।
लाल मिर्च के खंडवा स्थित कारोबारी दिलीप ट्रेडर्स के दिलीप जैन का कहना है कि लाल मिर्च में मध्य प्रदेश का नाम 1998 में उभरकर तब आया जब यहां 42-45 लाख बोरी का उत्पादन हुआ था। इससे पहले लाल मिर्च के उत्पादन और कारोबार में मध्य प्रदेश की भूमिका नहीं थी। जैन का कहना है कि निमाड़ में 15-20 साल में पिछले साल पहली बार इतनी बारिश हुई थी कि गैर-पथरीली जमीन में मिर्च को नुकसान हुआ था। जबकि, इस साल अभी तक फसल की स्थिति अच्छी है लेकिन गैर-सिंचित क्षेत्रों में बारिश की जरुरत होगी। जैन का कहना है कि मध्य प्रदेश के निमाड़ इलाके में नई लाल मिर्च की आवक अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से शुरु हो जाएगी जो जनवरी महीने तक चलती है। इस समय निमाड़ में लाल मिर्च का स्टॉक नगण्य है जिसकी वजह से इसमें कोई सौदे नहीं हो रहे हैं। चालू सीजन में यहां लाल मिर्च नीचे में 3800-4000 रुपए क्विंटल बिकी थी जो ऊपर में 7200 रुपए क्विंटल तक बिकी।