नई दिल्ली- आरबीआई ने तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरों में बदलाव का ऐलान नहीं किया। रेपो रेट 6.25 फीसदी पर कायम रखा गया है। हालांकि जानकारों का एक धड़ा कयास लगा रहा था कि केंद्रीय बैंक इस बार ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं।
इसके अलावा, आरबीआई ने जीडीपी का अनुमान घटा दिया है और इसे इस वित्तीय वर्ष के लिए 6.9 फीसदी रखा गया है जबकि अगले वित्तीय वर्ष के लिए 7.4 फीसदी का अनुमान लगाया गया है। इससे पहले 7 दिसंबर को पेश की गई समीक्षा में आरबीआई (RBI) ने देश के आर्थिक विकास की दर के 7.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। तब भी आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। और यह तब था, जब नोटबंदी के चलते अर्थव्यवस्था और आम आदमी दोनों ही ‘सुस्ती’ के मोड में दिखाई दे रहे थे।
लेकिन बता दें कि जिन लोगों ने फिलहाल लोन लिया हुआ है, आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती न करने के फैसले के बाद भी उनकी ईएमआई घट सकती है। आरबीआई गवर्नर ने यह कहा कि हो सकता है कि बैंक कर्ज दरों में कटौती करें। वैसे भी कई बैंक अपने पास डिपॉजिट यानी तरलता बढ़ने के बाद ब्याज दरों में कटौती कर चुके हैं। नोटबंदी के बाद लोगों ने बैंकों में जो जमा करवाया, उससे बैंकों के पास नकद इकट्ठा हुआ है।
वहीं, न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, आरबीआई ने कहा है कि 20 फरवरी से सेविंग अकाउंट से कैश निकासी की लिमिट 24 हजार रुपए से 50 हजार रुपए कर दी जाएगी जबकि 13 मार्च से सेविंग बैंक अकाउंट्स से नकद निकासी पर कोई सीमा नहीं रहेगी।
क्या है रेपो रेट?
बता दें कि रेपो रेट वह दर है, जिस पर आरबीआई किसी बैंक को लोन देता है। ब्याज दर कम होने का मतलब यह है कि बैंकों के पास अब ज्यादा पैसा होगा, जिसे वह बाजार में डाल सकते हैं। वहीं, रिवर्स रेपो दर वह दर है जिस पर बैंक रिजर्व बैंक को पैसा देते हैं। बैंक अपने पास मौजूद नकदी का रिजर्व बैंक में रख सकते है और इस पर उन्हें रिजर्व बैंक से ब्याज मिलता है। जिस दर पर यह ब्याज मिलता है, उसे ही रिवर्स रेपो दर कहा जाता है। [एजेंसी]