गणतंत्र दिवस परेड पर इस बार 16 राज्यों की झांकी राजपथ पर देखने को मिली। मगर इनमें से तमिलनाडु की झांकी पर विवाद शुरू हो गया है। दरअसल इस झांकी में महिलाओं को बिना ब्लाउज़ के सिर्फ साड़ी में दिखाया गया था।
तमिलनाडु सरकार की इस झांकी में महात्मा गांधी की 1921 की उस मदुरै यात्रा को दिखाया गया था, जिसके बाद उन्होंने कपड़े त्याग दिए थे और सिर्फ एक धोती पहनने का फैसला किया था। ऐसा फैसला उन्होंने यहां के किसानों की दयनीय हालत को देखकर किया था।
राजनीतिक दल द्रविड़ इयक्का तमिझर पेरावई के महासचिव सुबा वीरापांडियन ने कहा कि महात्मा गांधी ने 22 सितंबर 1921 को अपनी मदुरै यात्रा के बाद सिर्फ एक धोती पहनने का फैसला किया था।
उन्होंने कहा, ‘यह महात्मा गांधी और तमिलनाडु के लिए अहम घटना थी, लेकिन 1921 में महिलाएं इस तरह कपड़े नहीं पहनती थीं, जैसा झांकी में दिखाया गया है।
त्रावणकोर क्षेत्र में महिलाएं इस तरह का पहनावा पहनती थीं, मगर महिलाओं के ब्लाउज़ पहनने पर बैन को 19वीं शताब्दी में ही खत्म कर दिया गया था।’
उन्होंने कहा ऐसा नहीं होना चाहिए था, वह भी तब जब उस परेड को पूरी दुनिया देख रही थी। असंगठित मजदूर संघ की सलाहकार आर गीता ने भी कहा कि बिना ब्लाउज़ के महिलाओं को दिखाने से बचा जा सकता था।
उधर राज्य के सूचना और प्रसारण विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि झांकी का मकसद महात्मा गांधी के 150वीं जन्म जयंती के मौके पर उनके जीवन से जुड़ी किसी घटना को दिखाना था।
उन्होंने कहा, ‘हमें झांकी से संबंधित कई फोन कॉल्स मिले हैं। हालांकि इस थीम को इसीलिए चुना गया था क्योंकि बहुत से लोगों को गांधी और तमिलनाडु के इस कनेक्शन के बारे में नहीं पता होगा।’