नई दिल्ली- देश के आर्थिक हालात पर दिए विवादित बयान पर रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि अंधों में काना राजा वाले उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया है। रघुराम राजन के मुताबिक वो कुछ और कहना चाहते थे। यही नहीं रघुराम राजन ने ये भी कहा है कि अगर इस बयान से किसी नेत्रहीन व्यक्ति को बुरा लगा हो तो इसके लिए माफी मांगता हूं।
आपको बता दें कि वॉशिंगटन में रघुराम राजन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि भारतीय इकोनॉमी की हालत अंधों में काना राजा के जैसी है। इस बयान की चौतरफा आलोचना हो रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि अगर 7.5 फीसदी की ग्रोथ किसी और देश में होती तो जश्न मनाया जाता।
वहीं केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के भारतीय अर्थव्यवस्था को ‘अंधों में काना राजा’ बताने संबंधी बयान की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इसके लिए कुछ और अच्छे शब्दों का इस्तेमाल किया जा सकता था।
सीतारमण ने एक संवाददाता सम्मेलन में सोमवार को कहा, ‘मैं उनके शब्दों के चयन से खुश नहीं हूं। मुझे लगता है कि सरकार ने जो भी कार्रवाई की, उसके नतीजे दिख रहे हैं। एफडीआई सुधर रहा है। विनिर्माण क्षेत्र में सुधार के भी स्पष्ट संकेत दिख रहे हैं। मुद्रास्फीति, चालू खाते का घाटा भी नियंत्रण में है।’ मंत्री ने कहा कि यदि वह जो कहना चाहते थे उसके लिए अच्छे शब्दों का चयन करते तो अच्छा लगता।
क्या कहा था रघुराम राजन ने…
कमजोर वैश्विक आर्थिक हालात के बीच आईएमएफ सहित विभिन्न संस्थानों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को आर्थिक वृद्धि के लिहाज से ‘चमकते बिंदुओं में से एक’ करार दिया है। राजन की अगुवाई में रिजर्व बैंक को भी इस बात का श्रेय दिया जाता है कि उन्होंने देश की वित्तीय प्रणाली को बाहरी झटकों से बचाने के लिए उचित कदम उठाए हैं।
जन से जब ‘चमकते बिंदु’ वाले इस सिद्धांत पर उनकी राय जाननी चाही तो उन्होंने कहा,‘मुझे लगता है कि हमें अब भी वह स्थान हासिल करना है जहां हम संतुष्ट हो सकें। हमारे यहां लोकोक्ति है,‘अंधों में काना राजा।… हम थोड़ा बहुत वैसे ही हैं।’ अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री राजन वॉशिंगटन में विश्व बैंक व आईएमएफ की सालाना बैठक के साथ साथ जी20 के वित्तमंत्रियों व केंद्रीय बैंक गवर्नरों की बैठक में गए थे।