नई दिल्ली- 12 साल पुराने एनकाउंटर में मारी गई इशरत जहां केस में नए नए खुलासे सामने आ रहे हैं जिससे पूर्व कंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। इस मामले में अब एक और पूर्व वरिष्ठ अधिकारी सामने आए हैं जिसके मुताबिक इशरत मामले से जुड़ मामले में तत्कालीन यूपीए सरकार में राजनैतिक स्तर पर शपथ पत्र में बदलाव किए गए थे। तत्कालीन केंद्र सरकार ने इस मामले में दो शपथ पत्र दाखिल किए थे। पहले शपथ पत्र में कहा गया था कि इशरत जहां सहित जिन लोगों को कथित फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया गया था, आतंकी थे।
उन्होंने दावा किया कि एफिडेविट बदलने के लिए उन्हें सिगरेट से दागा गया। उनकी हालत देख मां की तबीयत बिगड़ गई और बाद में उनकी मौत हो गई। कांग्रेस ने मणि के दावों पर सवाल उठाए हैं।
इशरत जहां मामले पर सोनिया गांधी ने कहा, चिदंबरम ने पहले ही कहा है कि हम पर इसलिए निशाना साधा जा रहा है, क्योंकि हम सत्ता में थे ! कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, “डिस्ट्रिक्ट जज अहमदाबाद ने इशरत मामले की इन्क्वाॅयरी की थी। तब मोदी सीएम थे। दो जजों ने अपनी जांच में स्पष्ट किया था कि इशरत जहां एनकाउंटर फेक था। इसके बाद कोई बात सामने नहीं आई। खुद चिदंबरम भी इस मामले पर जवाब दे चुके हैं। मामला कोर्ट में है। जीके पिल्लई से यह जरूर पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने अडाणी की कंपनी ज्वॉइन करने के साढ़े 6 साल बाद ये बात कैसे कही।”
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई करने के लिए पिटीशन फाइल की गई है। इसमें चिदंबरम के खिलाफ इशरत जहां मामले में सुप्रीम कोर्ट और गुजरात हाईकोर्ट में झूठी गवाही देने और गुमराह करने का आरोप लगाया गया है। पिटीशन में मांग की गई है कोर्ट इस मामले में सुओमोटो ले। इस मामले में चिदंबरम के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने की मांग की गई है।
इशरत मामले पर बीजेपी के भूपेंद्र यादव ने राज्यसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिया है। यह नोटिस इशरत केस में नई जानकारियों पर दिया गया है।
उस समय मुंबई के ज्वाइंट कमिश्नर रहे सत्यपाल ने बताया कि हेडली ने साफ बताया था कि इशरत लश्कर की आतंकी है। जब मैंने एनआईए और भारत सरकार से इस स्टेटमेंट को मांगा तो गृहमंत्रालय की ओर से साफ किया गया कि अमेरिका से करार है, हेडली का बयान किसी को नहीं देना है।
उन्होंने अप्रत्यक्ष तौर पर कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि भाजपा का आरोप है कि चिदंबरम ने यह सब कांग्रेस आलाकमान के निर्देशों पर किया। यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा फर्जी मुठभेड़ मामले में फिर से जांच चाहेगी, इस पर प्रसाद ने कहा कि वह इसे उस जांच की रिपोर्ट पर छोड़ेंगे, जिसकी मांग भाजपा ने की है।
मालूम हो कि मुंबई आतंकी हमले के आरोपी डेविड हेडली ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए गवाही के दौरान हेडली ने खुलासा करते हुए बताया कि गुजरात में कथित एनकाउंटर में मारी गई इशरत जहां लश्कर-ए-तैयबा की आत्मघाती हमलावर थी। बकौल हेडली उसे भारत में किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए भेजा गया था। इशरत को गुजरात के अक्षरधाम मंदिर पर हमले की जिम्मेदारी सौंपी गई थी जिसे अंजाम देने में वह असफल रही।
गौरतलब है कि 15 जून 2004 को इशरत जहां, जावेद शेख, अमजद राणा और जीशान जौहर नाम के चार कथित आतंकियों को अहमदाबाद में हुए एक एनकाउंटर में मार गिराया गया था। एनकाउंटर के संबंध में गुजरात पुलिस के इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट ने खुलासा किया था कि ये सभी लश्कर-ए-तैयबा के टेररिस्ट थे, जो गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी की हत्या करने आए थे।
कांग्रेस ने गुजरात सरकार पर फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाया था। इस मामले में पूर्व होम सेक्रेटरी जीके पिल्लई ने माना है कि इशरत के आतंकियों से रिश्ते थे। उन्होंने कहा है कि इशरत लश्कर की आतंकी थी या नहीं, ये नहीं पता, लेकिन वो उस पूरे ऑपरेशन में शामिल थी।
इशरत जहां मामले की जांच फिलहाल सीबीआई के पास है। 2013 में फाइल की गई चार्जशीट में सीबीआई ने कहा था कि एनकाउंटर फर्जी था। यह एनकाउंटर अहमदाबाद पुलिस और आईबी ने मिलकर किया था। फिलहाल, मामला कोर्ट में है। हेडली के खुलासे के बाद एक बार फिर से इशरत मामले में जांच की मांग की जा रही है।