हरयाणा- स्थानीय राईस मिलर एशोसियशन के प्रधान मांगे राम खुरानियां ने बताया कि राईस मिल मालिक अपने शैलरों को जल्दी ही ताला लगाकर चाबी मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को सोंपेंगे। उन्होने बताया कि प्रदेश सरकार कि गलत नितियों को लेकर पिछले कई वर्षों से राईस मिल मालिक घाटे में चल रहे है।
और अब ये मिल मालिक अधिक घाटा सहन नही कर सकते। उन्होने बताया कि प्रदेश के 80 प्रतिशत मिल इस घाटे के चलते बंद होने के कंगार पर है। नुकसान होने की स्थिति में सरकार किसानों को राहत पैकज देती है। इतना ही नही अब की बार सरकार के चीनी मिलों को उभारने के लिये आठ सौ करोड का पैकज दिया गया।
जबकि राईस मिल सरकार को टैक्स के रूप में सबसे ज्यादा कमाई करके देते है, परन्तु सरकार की ओर से राईस मिलरों को कुछ भी सहायता नही दि जाती। इतना ही नही सभी राज्य अपने प्रदेश के राईस मिलरों को बचाने के लिये विभिन्न प्रकार के टैक्स माफ करके विशेष पैकज देती, परन्तु प्रदेश सरकार हरियाणा के मिल मालिको को कुछ भी राहत नही देती। प्रदेश के सभी मिल मालिक 15 नवम्बर से पहले कोई भी धान नही खरीद करेंगे। यदि सरकार उसके बाद भी कोई निर्णय नही लेती तो हड़ताल को आगे भी बढाया जा सकता है।
यह है मुख्य मागें
राईस मिल मालिको को उभारने के लिये सर्वप्रथम प्रदेश सरकार विशेष पैकज द।े मार्किट फीस चार प्रतिशत से घटाकर अन्य राज्य की तरह एक प्रतिशत करे। वैट पांच प्रतिशत को समाप्त किया जाये ताकि किसानों की फसल उच्चे दामों पर खरीदा जाये। धान मे अधिक नमी होने पर यदि सरकार नही खरीद करती तो उसको कम मुल्य पर खरीदने की अनुमति दे।
नही खरीद कि जायेगी 1509 किस्म की धान
कैथल राईस मिलर एशोसियशन के प्रधान मांगे राम खुरानियां ने बताया कि अब की बार प्रदेश में 1509 किस्म की धान कोई भी राईस मिल मालिक नही खरीदेंगा। उन्होंने बताया कि इस किस्म की धान का चावल क्च्चा होता है। यह कुछ समय के बाद अपना रंग बदलने लगता है। जिस कारण से यह आगे नही बिकता और यदि बिकता है भी तो बहुत कम मुल्य पर। जिस कारण से वे घाटे में है। उन्होने किसानो से भी अपील कि अब की बार यह धान न लगाये।
रिपोर्ट :- राज अग्रवाल