चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोपों और उनके खिलाफ साजिश के दावों से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है।
कोर्ट ने साफ़ कहा कि देश की शीर्ष अदालत कुछ ताकतवर और पैसे वाले लोगों की मर्जी से काम नहीं कर सकती। कोर्ट ने चिंता जाहिर की है कि बीते 3-4 सालों से लगातार सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाया जा रहा है।
कोर्ट ने जाहिर की चिंता
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने चिंता जाहिर करते हुए गुरुवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को देश के चंद ताकतवर और पैसे वाले लोग रिमोट के जरिए कंट्रोल नहीं कर सकते।
बीते 3-4 सालों से लगातार सुप्रीम कोर्ट पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं, आखिर इस देश को हो क्या गया है?
कोर्ट ने कहा कि ऐसा माना जा रहा है कि ये संस्थान अब ख़त्म होने की कगार पर है। देश के लोगों को सच का पता होना चाहिए कि आखिर कौन लोग हैं जो इस साजिश को अंजाम दे रहे हैं।
कोर्ट ने आगे कहा कि सीजेआई के खिलाफ साजिश के मामले में एक जांच टीम गठित की जाएगी। जो भी लोग ये साजिश कर रहे हैं उन्हें नहीं पता कि वो आग से खेल रहे हैं। इस मामले में 2 बजे के बाद फैसला सुनाया जाना है।
बुधवार को सीजेआई के खिलाफ होने वाली साजिश का दावा करने वाले वकील उत्सव बैंस ने कोर्ट को सबूत सौंपे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने कल सुनवाई के दौरान कहा कि हम जांच करेंगे और फिक्सरों के सक्रिय होने और न्यायपालिका के साथ हेराफेरी करने के कथित दावों की तह तक जाएंगे।
अगर वे अपना काम करते रहे तो हममें से कोई भी नहीं बचेगा। इस व्यवस्था में फिक्सिंग की कोई भूमिका नहीं है। हम इसकी जांच करेंगे और इसे अंतिम निष्कर्ष तक ले जाएंगे।
इसके साथ ही पीठ ने स्पष्ट किया कि उत्सव बैंस के व्यापक साजिश के दावे पर सुनवाई और प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की आंतरिक जांच के आदेश के बीच कोई संबंध नहीं है।
इससे पहले, दिन में शीर्ष अदालत ने प्रधान न्यायाधीश को फंसाने की बड़ी साजिश होने के बैंस के दावों पर सुनवाई के दौरान केंद्रीय जांच ब्यूरो तथा गुप्तचर ब्यूरो के निदेशकों और दिल्ली के पुलिस आयुक्त को अपराह्न साढ़े बारह बजे पेश होने तथा न्यायाधीशों के चैंबर में मुलाकात करने का निर्देश दिया।