लखनऊ- उत्तर प्रदेश की राजधानी में एक सामाजिक संस्था द्वारा आयोजित आरटीआई कैम्प में बताया गया कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन वापस करना गैरकानूनी है। आरटीआई विशेषज्ञ समाजसेवी आर.एस. यादव और उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के अधिवक्ता रुवैद कमाल किदवई ने प्रतिभागियों को बताया कि आरटीआई एक्ट की धारा 8 और 9 के प्राविधानों के अलावा यदि आरटीआई आवेदन वापस किया जाता है तो यह गैरकानूनी है।
किदवई ने आरटीआई आवेदकों को जनसूचना अधिकारियों द्वारा धारा 8 और 9 के प्राविधानों के अलावा सूचना देने से मना करने तथा दी गई सूचनाओं के अपूर्ण या भ्रमपूर्ण या असत्य होने की स्थिति में अपनी आपत्तियों में आरटीआई एक्ट के कानूनी पहलुओं का समावेश करने पर जोर दिया।
कार्यक्रम के समन्वयक तनवीर अहमद सिद्दीकी ने बताया कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में आम आदमी ही देश का असली मालिक है, इस वास्तविकता का भान कराने के लिए यह कैम्प आयोजित किया गया।
उन्होंने कहा कि कैम्प का उद्देश्य आरटीआई प्रयोगकर्ताओं को आरटीआई कानून की बारीकियों पर प्रशिक्षित कर इस अधिकार का पुरजोर तरीके से इस्तेमाल करने के लिए तैयार करना है और इसमें यह कैम्प सफल रहा।
आयोजक उर्वशी शर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयोग में कार्यरत मुख्य सूचना आयुक्त और 9 सूचना आयुक्तों में से सबसे खराब कार्य करने वाले सूचना आयुक्त का पता लगाने के लिए सर्वे भी कराया गया है। इसके परिणाम बाद में घोषित किए जाएंगे।
कार्यक्रम में नई दिल्ली की सामाजिक संस्था कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (सीएचआरआई) के सौजन्य से उपलब्ध 75 आरटीआई मार्गदर्शिका का नि:शुल्क वितरण किया गया।