नई दिल्ली- एयरटेल और रिलायंस जियो में घमासान मच गया है। रिलायंस जियो ने जहां इंटरकनेक्शन प्वाइंट देने में कोताही की वजह से हर रोज एयरटेल के नेटवर्क पर 2 करोड़ कॉल ड्रॉप और मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी में अड़चन का आरोप लगाया है। वहीं एयरटेल ने पलटवार करते हुए आरोपों को तो खारिज किया ही, साथ ही जियो पर सहयोग में ढिलाई का आरोप भी जड़ दिया।
इंटरकनेक्शन प्वाइंट वो जरिया है जिसकी बदौलत एक नेटवर्क से दूसरी नेटवर्क पर कॉल पूरी होती है। अगर ये माध्यम अपर्याप्त है तो कॉल ड्रॉप की समस्या बढ़ती है। आपसी बातचीत के बाद एयरटेल ने 13 सितम्बर को ऐलान किया था कि वो अतिरिक्त इंटरकनेक्शन प्वाइंट मुहैया करा रही है जिससे मौजूदा क्षमता तीन गुना बढ़ जाएगी और ये डेढ़ करोड़ ग्राहकों के लिए पर्याप्त होगा। 17 सितम्बर को एक बयान जारी कर एयरटेल ने कहा कि समझौते के मुताबिक भुगतान की तारीख से इंटरकनेक्शन प्वाइंट पूरी तरह से सेवा योग्य बनाने के लिए 90 दिन का समय तय है। हालांकि एयरटेल की कोशिश इस समय से पहले इंटरकनेक्शन प्वाइंट जारी करने की होगी।
फिलहाल, रविवार को बयान जारी कर जियो ने एयरटेल की पहल का स्वागत तो किया, लेकिन उसका मानना है कि इंटरकनेक्शन प्वाइंट की प्रस्तावित संख्या दोनों नेटवर्क पर ट्रैफिक की जरुरतों के हिसाब से कम है। जियो का ये भी कहना है कि इंटरकनेक्शन प्वाइंट में प्रस्तावित बढ़ोतरी, जरुरत के एक चौथाई से भी कम है। जियो का कहना है कि बेहतर सेवा की जरुरत और उसपर पड़ने वाले असर का मुद्दा लगातार उठा रहा है। हालत ये है कि आज की तारीख में जियो से एयरटेल के नेटवर्क पर दो करोड़ कॉल ड्रॉप हो रही है जो तय मानकों से कहीं ज्यादा है।
जियो का ये भी कहना है कि दूरसंचार बाजार के नियामक ट्राई के नियमों के मुताबिक, सेवा की गुणवत्ता के मानकों पर खरा उतरने के लिए 90 दिन की समय सीमा जैसी कोई शर्त नहीं है। जियो के मुताबिक, हकीकत तो ये है कि ट्राई ने पुराने ऑपरेटर को जल्द से इंटरकनेक्शन क्षमता मुहैया कराने का निर्देश दिया है जिससे सेवा की गुणवत्ता पर असर नहीं पड़े।
जियो के बयान पर पलटवार करते हुए एयरटेल ने ग्राहकों को होने वाली परेशानी के लिए उसे ही जिम्मेदार ठहराया दिया। एयरटेल के मुताबिक, ऐसा लगता है कि जियो की लगातार बयानबाजी उसके अपने नेटवर्क की तकनीकी खामियो की लीपापोती का एक तरीका है। इन खामियों को सुधारने के बजाए जियो लगातार दूसरे टेलिकॉम ऑपरेटर पर दोष मढ़ रही है। एयरटेल का ये भी कहना है कि कॉल ड्रॉप या वीओएलटीआई (VoLTE : Voice over Long-Term Evolution) में स्थायित्व जैसे मुद्दों को इंटरकनेक्शन प्वाइंट के मुद्दे से ढकने की कोशिश नहीं होनी चाहिए।
मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी
रिलायंस जियो ने एक और आरोप लगाया गया है कि एयरटेल आधारहीन और अप्रमाणित कारणों के चलते अपने ग्राहकों को उसके नेटवर्क को अपनाने यानी मोबाइल नबंर पोर्टेबिलिटी को रोक रहा है। मोबाइल नबंर पोर्टेबिलिटी ग्राहकों को बगैर मौजूदा नंबर बदले एक नेटवर्क के बजाए दूसरे नेटवर्क को अपनाने की सुविधा देता है। ग्राहक यदि अपनी मौजूदा कंपनी के सेवाओं से संतुष्ट नहीं है तो कुछ शर्तों और औपचारिकताओं को पूरी करने के बाद दूसरे कंपनी की सेवा में शामिल हो सकते हैं।
इस पर एयरटेल ने कहा कि मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी को लेकर आ रहे तमाम आवेदनों पर कार्रवाई दिशानिर्देशों के अनुसार हो रही है। हजारों की तादाद में हर रोज दूसरे नेटवर्क के ग्राहक एक-दूसरे नेटवर्क पर आते हैं और जाते हैं, लिहाजा पोर्टेबिलिटी के 69 आवेदनों को रोके जाने के जियो के के आरोप में कोई दम नहीं। [एजेंसी]