यूपी और उत्तराखंड के सीएम रह चुके दिवंगत एनडी तिवारी के बेटे रोहित शेखर की हत्या के मामले में बुधवार सुबह दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पत्नी अपूर्वा को गिरफ्तार कर लिया है। अपूर्वा से पिछले तीन दिनों से पूछताछ जारी थी।
अपूर्वा सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता हैं और काफी समय तक पुलिस को अपनी बातों से फंसाती रहीं। वह बार-बार पुलिस को दिया अपना बयान बदलती रहीं जिसके कारण वह पुलिस के शक के दायरे में आ गईं।
अपूर्वा की गिरफ्तारी के बाद इस केस में कई नए खुलासे होने की उम्मीद है। बताया जा रहा है कि पुलिस ने इस मामले में धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज किया था और उसी के तहत पुलिस ने अपूर्वा को गिरफ्तार किया है।
यानी अपूर्वा को कत्ल के इल्जाम में गिरफ्तार किया गया है और ये बाद में ही पता चल सकेगा कि पुलिस इस मामले में धारा बदलती है या नहीं।
मालूम हो कि रोहित की मां उज्जवला पहले ही दिन से कह रही थीं कि उनके बेटा तनाव में था। उसे मानसिक यातनाएं दी जाती थीं।
इसके बाद भी उन्होंने कहा कि शादी के पहले दिन से ही दोनों के बीच तनाव था। उनमें अक्सर झगड़े होते थे।
हत्या की शुरुआती जांच में बरती गई लापरवाही
दक्षिण जिला पुलिस ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत मामले में शुरुआती जांच में जिस तरह लापरवाही बरती थी उस तरह की रोहित हत्या मामले में सामने आ रही है।
पुलिस को 17 अप्रैल की शाम इस तरह के संकेत मिल गए थे कि रोहित की हत्या की गई है। इसके बावजूद दक्षिण जिला पुलिस सर्तक नहीं हुई। पुलिस ने न तो पत्नी अपूर्वा का मोबाइल जब्त किया और न ही समय से सीसीटीवी फुटेज को खंगाला था।
दक्षिण जिले एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि दक्षिण जिला पुलिस ने सुनंदा पुष्कर केस में शुरुआत में लापरवाही बरती थी और एक वर्ष तक स्वभाविक मौत (सीआरपीसी 174 की कार्रवाई) पर जांच करती रही।
पुलिस ने सुनंदा व उसके परिजनों के मोबाइल फोन को जब्त नहीं किया था और न ही मौके से ठीक से सैंपल लिए थे।
रोहित के शव के मैक्स अस्पताल से एम्स की मोर्चरी में ले जाया गया तो वहां डॉक्टरों ने संकेत दे दिए थे कि रोहित की हत्या की गई है। इसके बावजूद डिफेंस कॉलोनी, दक्षिण जिला पुलिस सर्तक नहीं हुई।
पुलिस स्वाभाविक मौत की कार्रवाई की तैयारी कर पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार करती रही। इस दौरान आरोपी या आरोपियों को सबूत से छेड़छाड़ का काफी समय मिल गया था।
डिफेंस कॉलोनी थाना पुलिस ने सीबीआई की फोरेंसिक टीम को नहीं बुलाया था, बल्कि दिल्ली सरकार की एफएसएल टीम को मौके पर बुलाया था।
सीबीआई की फोरेंसिक टीम को एक्सपर्ट माना जाता है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से जब रोहित की हत्या का खुलासा हुआ तो सीबीआई की फोरेंसिक टीम को मौके पर बुलाया था। पुलिस ने शुरुआत में रोहित के परिजनों के मोबाइल व अन्य सबूत एकत्रित नहीं किए थे।