मुंबई- बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने एक बार फिर से बीजेपी पर निशाना साधा है. शिवसेना ने बीजेपी पर नया आरोप दोहरी नीति अपनाने का लगाया है. शिवसेना ने देश में ‘घोर असहिष्णुता’ संबंधी बयानों को लेकर अभिनेता शाहरुख खान को निशाना बनाने वाले बीजेपी के कुछ वर्गों की आलोचना करते हुए कहा कि अभिनेता को ‘पाकिस्तान जाने’ के लिए कहने से पार्टी की ‘दोहरी नीति’ जाहिर होती है।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में छपे संपादकीय में कहा, ‘भाजपा के सदस्य और मुख्यमंत्री (देवेंद्र फडणवीस) ने गुलाम अली को पूरी सुरक्षा के बीच राज्य में प्रस्तुति देने के लिए निमंत्रण दिया था. इस तरह एक ओर आप आमंत्रित करते हैं और दूसरी ओर आप शाहरुख खान को पाकिस्तान जाने के लिए कहते हैं. इस समय दोहरी नीति अपनाई जा रही है. शाहरुख एक कलाकार हैं और उन्हें केवल मुसलमान होने के कारण निशाना बनाना सही नहीं है।
संपादकीय में आगे कहा गया है कि बॉलीवुड सुपरस्टार की टिप्पणी को लेकर उठे विवाद ने उन लोगों के चेहरों से मुखौटा उतार दिया है जो गुलाम अली के संगीत कार्यक्रम और पाकिस्तान के पूर्व मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी के मुंबई में पुस्तक विमोचन के खिलाफ शिवसेना के विरोध को लेकर उसकी आलोचना कर रहे थे।
उसने कहा, ‘राजनीतिज्ञों को सहिष्णुता एवं असहिष्णुता के मुद्दे को लेकर सिर्फ इसलिए ही शाहरुख को नहीं घसीटना चाहिए क्योंकि वह मुसलमान हैं. जिन लोगों ने कहा था कि गुलाम अली और खुर्शीद के मुद्दे को लेकर भारत की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है, उनके मुखौटे शाहरुख प्रकरण के बाद उतर गए हैं।
दरअसल, बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने मंगलवार को एक ट्वीट के जरिए विवाद पैदा कर दिया था। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा था कि शाहरुख रहते तो भारत में हैं लेकिन उनकी ‘आत्मा’ पाकिस्तान में है. उनकी इस टिप्पणी से एक दिन पहले ही शाहरुख ने कहा था कि देश में ‘घोर असहिष्णुता’ है. अपनी टिप्पणियों के कारण निशाने पर आने के बाद विजयवर्गीय ने अपने विवादास्पद ट्वीट वापस ले लिए थे लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि यदि भारत में असहिष्णुता होती तो अमिताभ बच्चन के बाद शाहरुख सबसे लोकप्रिय अभिनेता न होते।
बुधवार को बीजेपी के विवादास्पद सांसद योगी आदित्यनाथ ने शाहरुख की तुलना 26/11 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड और पाकिस्तानी आतंकी हाफिज सईद से करते हुए अभिनेता को पाकिस्तान चले जाने की सलाह दी थी. इसी बीच शिवसेना ने कहा कि वह पाकिस्तान के साथ सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक रिश्तों का विरोध तब तक जारी रखेगी, जब तक पड़ोसी देश अपनी हरकतों से बाज नहीं आ जाता।
शिवसेना ने कहा, ‘गुलाम अली कहते हैं कि वह तब तक भारत नहीं आएंगे जब तक कि दोनों देशों के रिश्ते सुधर नहीं जाते. हम उनके इस रूख की सराहना करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वह अपने रूख पर दृढ़ता के साथ कायम रहेंगे. इस बीच वह एक शांतिदूत की भूमिका निभा सकते हैं और हाफिज सईद एवं उन अन्य आतंकियों को बदलने की कोशिश कर सकते हैं, जो पाकिस्तान में बैठे हैं और भारत के खिलाफ जहर उगल रहे हैं।